दिन बदल गए टेराकोटा उत्‍पादों के, छोटे से गांव से निकलकर पहुंच गए विदेशों तक

टेराकोटा उत्पादों के दिन बदल चुके हैं। शिल्पकारों का जीवन स्तर भी पहले से काफी बेहतर हुआ है। छोटे से गांव से निकलकर यह उत्पाद अब विदेश में भी पहुंच गया है। इसको और व्‍यापक बनाने की कार्ययोजना बनाई जा रही है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 07 Aug 2021 05:30 PM (IST) Updated:Sat, 07 Aug 2021 05:30 PM (IST)
दिन बदल गए टेराकोटा उत्‍पादों के, छोटे से गांव से निकलकर पहुंच गए विदेशों तक
बुद्ध प्रतिमा को अंतिम रूप देता शिल्पकार। जागरण

गोरखपुर, उमेश पाठक : अपनी खूबसूरती से सबको आकर्षित करने वाले टेराकोटा उत्पादों के दिन बदल चुके हैं। शिल्पकारों का जीवन स्तर भी पहले से काफी बेहतर हुआ है। छोटे से गांव से निकलकर यह उत्पाद अब विदेश में भी पहुंच गया है। भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआइआइ) नेशनल बैंक फार एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के साथ मिलकर इंग्लैंड, फ्रांस जैसे यूरोप के देशों में भी बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी में है, इसे लेकर कार्ययोजना बनाई जाएगी। कुछ निर्यातक टेराकोटा शिल्पकारों से उत्पाद खरीदकर उसे मलेशिया, सिंगापुर एवं थाईलैंड जैसे देशों में निर्यात भी कर रहे हैं।

250 परिवार जुड़े हैं टेराकोटा शिल्‍प से

भटहट क्षेत्र में औरंगाबाद, गुलरिहा, एकला नंबर दो एवं भरवलिया में करीब 250 परिवार टेराकोटा शिल्प से जुड़े हैं। टेराकोटा लाभ का व्यवसाय नहीं बन पा रहा था। बाहर से आए व्यापारी इस उत्पाद को दूसरे प्रदेशों में ले गए तो इसकी पहचान बढ़ने लगी।

ओडीओपी में शामिल होने के बाद आया बदलाव

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में शामिल किए जाने के बाद इस उत्पाद को व्यापक पहचान मिली। उत्पाद की जियो टैगिंग भी हो चुकी है। शिल्पकारों को ऋण भी मिलने लगा है और कामन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) बनाने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है। दूसरे प्रदेशों से आने वाले आर्डर में भी बढ़ोत्तरी हुई है और पहले की तुलना में अच्छी कीमत मिल रही है।

शिल्पकारों को दिलाया आनलाइन बाजार

सरकार की ओर से आयोजित आनलाइन सेमिनार में इंग्लैंड, जर्मनी, अमेरिका, मलेशिया जैसे देशों के खरीदार जुड़े थे। टेराकोटा शिल्पकारों की लागिन आइडी भी बनाई गई है। करीब दो सप्ताह पहले ईडीआइआइ के निदेशक भी इन गांवों में दौरे पर आए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार के सहयोग से वे यूरोप के देशों में भी बाजार उपलब्ध कराएंगे।

सालाना करीब 10 करोड़ का टर्नओवर

चार गांवों के करीब 250 से अधिक परिवार टेराकोटा उत्पाद बनाते हैं। इनमें कुछ प्रमुख शिल्पकार संगठन बनाकर काम करते हैं, अन्य लोग इनसे जुड़े हैं। शिल्पकारों की मानें तो करीब 10 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर है।

सुविधाएं मिल रहीं हैं, बाजार भी उपलब्‍ध कराया गया

गुलरिहा बाजार के शिल्पकार राजन प्रजापति ने कहा कि सरकार की ओर से सुविधाएं मिल रही हैं और हमें बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। कुछ व्यापारी निर्यात भी करते हैं। ईडीआइआइ के निदेशक ने विदेश में बाजार उपलब्ध कराने को कहा है।

ओडीओपी में शामिल होने के बाद जीवन में आया काफी परिवर्तन

उपायुक्त उद्योग रवि शर्मा ने कहा कि ओडीओपी में शामिल होने के बाद शिल्पकारों के जीवन में काफी परिवर्तन आया है। उनकी आय भी बढ़ी है। उद्योग विभाग टेराकोटा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहा है। बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

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