कुशीनगर में मरम्मत कार्य की पोल खोल रहा क्षतिग्रस्त बांध

कुशीनगर में नारायणी नदी के बरवापट्टी व लक्ष्मीपुर में बने स्पर पर नारायणी का दबाव बरकरार है ग्रामीणों ने विभाग पर मनमानी का आरोप लगाया है जर्जर बंधे पर जगह-जगह रेन कट से खतरे की आशंका डिस्चार्ज बढ़ते ही खतरनाक हो जाएगी नारायणी नदी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 09:11 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 09:11 PM (IST)
कुशीनगर में मरम्मत कार्य की पोल खोल रहा क्षतिग्रस्त बांध
कुशीनगर में मरम्मत कार्य की पोल खोल रहा क्षतिग्रस्त बांध

कुशीनगर : यूपी - बिहार सीमा से होकर प्रवाहित नारायणी नदी (बड़ी गंडक) की बाढ़ को रोकने के लिए बनाए गए बंधे जगह-जगह रेन कट की वजह से जर्जर हो गए हैं। यह बंधे बाढ़ बचाव के लिए विभागीय तैयारियों की पोल खोलने के लिए काफी है। पानी का डिस्चार्ज बढ़ते ही नारायणी का रुख खतरनाक साबित होगा। इसको लेकर बंधे के किनारे गांवों के ग्रामीण भयभीत हैं। शासन की मंशा के अनुरूप अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। मानसून आने में दो दिन बचे हैं, ऐसे में अगर शीघ्र मरम्मत कार्य पूरा नहीं कराया गया, तो स्थिति भयावह होगी।

नदी से सटे नौतार जंगल, भगवानपुर, कटाईभरपुरा- बेलवनिया बांधों समेत छितौनी कस्बा से सटे दरगौली - छितौनी तटबन्ध पर जगह- जगह बड़े-बड़े रेनकट बने हुए हैं, जिसे बाढ़ खंड अब तक ठीक नहीं करा सका। क्षेत्र के लगभग 15 गांव नदी के निशाने पर हैं।

नेपाल के पहाड़ी इलाके से बाल्मिकी नगर बैराज होते यहां पहुंचने वाली नारायणी का पानी खड्डा ब्लाक क्षेत्र में भारी तबाही मचाता है। इसके अलावा नदी तट से सटे गांव महदेवा, सालिकपुर, नौतार जंगल, नरकहवा, मरचहवा, शिवपुर, नरायणपुर, हरिहरपुर आदि गांवों में नदी कहर बरपाती है। इससे पशुओं के साथ फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचता है। घर नदी में विलीन हो जाते हैं। बाढ़ खंड के एसडीओ राजेंद्र पासवान ने कहा कि क्षतिग्रस्त बंधों पर मरम्मत कार्य हो रहा है। टीम लगातार बंधे की निगरानी की जा रही है। कहीं कोई खतरे की बात नहीं है।

संवेदनशील जगहों पर धीमी गति से हो रहा कार्य

अमवाखास बांध के किमी एक पर बने रिग बांध व लक्ष्मीपुर के किमी 8.600 पर बने स्पर को नदी से बचाने के लिए हो रहे कार्य में तेजी न होने के चलते बांध के किनारे बसे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। बारिश शुरू हो गई है और अभी बांध की हालत जर्जर है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि नदी में पानी का डिस्चार्ज और बड़ा तो फिर बांध बचा पाना मुश्किल होगा।

दुदही विकास खंड में स्थित अमवाखास बांध के किमी शून्य से बरवापट्टी रिग बांध तक और लक्षमीपुर किमी 8.500 से किमी 8.600 तक डेंजर •ाोन है। इसके लिए पूर्व में ही विभाग ने शासन को परियोजना के तहत कार्य कराने के लिए प्रस्ताव भेजा था, जिसकी मंजूरी के साथ धन का आवंटन हो गया। बावजूद अभी इन प्वाइंटों पर हो रहे कार्य पूर्ण नहीं हुए। डिस्चार्ज 40 हजार क्यूसेक होने के कारण नारायणी अभी से अमवाखास बांध के जर्जर स्थानों पर दबाव बनाना शुरू कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते ही यदि बांध के कमजोर प्वाइंटों पर कार्य नहीं किया गया, तो बाढ़ के समय बांध को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।

अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड महेश कुमार सिंह ने कहा कि बरवापट्टी किमी वन व लक्षमीपुर किमी 8.600 पर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है, जो समय रहते पूर्ण हो जाएगा। अभी नदी से बांध को कोई खतरा नहीं है।

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