Dev Diwali: दैनिक जागरण ने किया दीपोत्सव का आयोजन, राप्ती के तट पर तारों सा टिमटिमाए एक लाख दीये
कल-कल कर बहती अचिरावती और तट पर टिम-टिम कर जलते दीये। मानो जमीं पर उतर पड़े हों आसमान के तारे। देव दीपावली की शाम गोरक्षनाथ घाट पर इस अलौकिक दीपोत्सव को सार्थकता थी दैनिक जागरण परिवार के साथ मिलकर शहर की युवा शक्ति ने।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कल-कल कर बहती अचिरावती और तट पर टिम-टिम कर जलते दीये। मानो जमीं पर उतर पड़े हों आसमान के तारे। अद्भुत दृश्य था, मनोरम छटा थी। देव दीपावली की शाम गोरक्षनाथ घाट पर इस अलौकिक दीपोत्सव को सार्थकता थी दैनिक जागरण परिवार के साथ मिलकर शहर की युवा शक्ति ने, दो-चार हजार नहीं बल्कि एक साथ एक लाख से अधिक दीये जलाकर। अंधकार पर प्रकाश को विजय दिलाकर, पर्व की शाम को यादगार बनाकर। आयोजन की सार्थकता तब और भी बढ़ गई, जब इसमें पूरे उत्साह के साथ शामिल हुए शहर के गण्यमान्य लोग।
शहर के युवाओं ने लिया बढ-चढकर हिस्सा
दीपोत्सव यूं ही नहीं ऐतिहासिक बन सका। इसके पीछे दिन भर की कड़ी मेहनत थी शहर के युवाओं की, जो शाम को यादगार बनाने के लिए सुबह से ही घाट पर जम गए थे। अलग-अलग टोलियों में घाट के कोने-कोने में प्रकाश की अलख जगाने के लिए उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसी का नतीजा रहा कि शाम ढलने तक घाट पर बाती और तेल के साथ एक लाख दीये जलने को तैयार थे।
जलने लगी ज्योति से ज्योति
जैसे ही दीयों को प्रज्वलित करने का आह्वान हुआ, ज्योति से ज्योति जलने लगी और प्रकाश पुंज के सामने अंधकार बेबस ओर लाचार नजर आने लगा और कुछ ही देर में लुप्त सा हो गया। मौके पर मौजूद सभी श्रद्धालु दीपदान में अपने योगदान के लिए जब आगे बढ़े तो आयोजन जन-जन से जुड़ता दिखा। क्या महिला, क्या पुरुष और क्या बच्चे, सभी कम से कम 11 दीप जलाकर आयोजन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने को उत्सुक दिखे।
मां राप्ती की आरती से दीपोत्सव को मिली पूर्णता
दीपोत्सव को पूर्णता देने के लिए जब घाट पर मां राप्ती की आरती शुरू हुई तो उसमें भी लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। किसी ने आरती स्थल पर पहुंचकर कार्यक्रम में राप्ती की आरती उतारी तो कोई दीप जलाते हुए आरती को गुनगुनाते दिखा। यहां तक कि महापौर सीताराम जायसवाल, अपर पुलिस महानिदेशक अखिल कुमार, जिलाधिकारी विजय किरन आनंद, एसएसपी डा. विपिन ताडा, नगर आयुक्त अविनाश सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. सुधाकर पांडेय भी खुद को रोक नहीं सके और आगे बढ़कर मां राप्ती की आरती उतारी। दीयों को सहेजकर पर्व का सार्थक करने का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। सबने मुक्त कंठ से आयोजन के लिए जागरण की सराहना की और ऐसे आयोजनों का सिलसिला जारी रखने की अपील की।