एम्स में एक साल से धूल फांक रही सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन, मरीज परेशान

एम्स गोरखपुर में इलाज व जांच का बुरा हाल है। एक साल से सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन आकर रखी हुई है जो धूल फांक रही है। उसे चलाने वाले डाक्टर व टेक्नीशियन नहीं हैं। मरीज इन जांचों के लिए बाहर भटक रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 11:32 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 11:32 AM (IST)
एम्स में एक साल से धूल फांक रही सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन, मरीज परेशान
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में इलाज व जांच का बुरा हाल है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Gorakhpur AIIMS: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज व जांच का बुरा हाल है। एक साल से सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन आकर रखी हुई है जो धूल फांक रही है। उसे चलाने वाले डाक्टर व टेक्नीशियन नहीं हैं। मरीज इन जांचों के लिए बाहर भटक रहे हैं। ढाई साल में एम्स इन्हें चलाने वाले डाक्टर व टेक्नीशियन की व्यवस्था नहीं कर सका। एकमात्र रेडियोलाजिस्ट के भरोसे अल्ट्रासाउंड हो रहा था, उनके नौकरी छोड़ देने से वह भी बंद हो गया है। 21 अगस्त से ही वहां अल्ट्रासाउंड भी बंद है। इससे बाहर के रेडियोलाजी सेंटरों का धंधा चटक गया है। गार्डों के पास विभन्न सेंटरों ने अपना कार्ड रख दिया है। गार्ड मरीजों को कार्ड थमाते हैं, इसका उन्हें अच्छा-खासा कमीशन मिलता है।

सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन का दिसंबर 2020 में हो चुका है ट्रायल

एम्स में आई सीटी स्कैन व एमआरआइ मशीन का ट्रायल दिसंबर 2020 में ही हो गया है। मशीनें ठीक हैं। केवल चलाने वालों की व्यवस्था हो जाए तो मरीजों को राहत मिल जाएगी। बिहार, नेपाल व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों से मरीज इस उम्मीद में आते हैं कि एम्स में जांच व इलाज दोनों हो जाएगा। जब डाक्टर सीटी स्कैन व एमआरआइ के लिए लिखते हैं तो पता चलता है कि यह दोनों जांच बाहर से करानी पड़ेगी। दूर से आए लोगों को इस शहर में बारे में कुछ पता नहीं होता। इसका फायदा गार्ड व बाहर घूम रहे दलाल उठा रहे हैं। उन्हें गुमराह कर मनचाहे रेडियोलाजी सेंटरों पर भेज रहे हैं। जहां से उन्हें कमीशन मिल रहा है। एम्स में सुविधाएं न होने से गार्डों व दलालों की चांदी हो गई है। मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।

जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज जितनी सुविधाएं भी नहीं

एम्स में लगभग ढाई साल पहले ओपीडी शुरू हुआ तो जनता की उम्मीदें परवान चढ़ीं। लोगों को लगा अब एम्स में बेहतर इलाज मिल सकेगा। लेकिन दिन-प्रतिदिन लोगों की उम्मीदें टूट रही हैं। स्थिति यह है कि अभी तक एम्स में जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज जितनी भी सुविधाएं नहीं हो पाई हैं। इसलिए मरीजों का अब एम्स से मोहभंग हो रहा है। वहां से उम्मीद टूटने के बाद लोग जिला अस्पताल या मेडिकल कालेज में इलाज करा रहे हैं। गंभीर मरीजों को तो एम्स के डाक्टर मेडिकल कालेज ही रेफर कर रहे हैं।

127 डाक्टरों का साक्षत्कार हुआ है। शीघ्र ही उनका रिजल्ट घोषित हो जाएगा। इसके बाद हमारे पास सभी विभागों के डाक्टर उपलब्ध होंगे। सीटी-एमआरआइ व अल्ट्रसाउंड शुरू कर दिया जाएगा। मरीजों को कोई दिक्कत नहीं होने पाएगी। - डा. शशांक शेखर, मीडिया प्रभारी।

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