यहां जान जोखिम में डालकर उगा रहे फसल, जानिए कैसे कट रही इनकी जिंदगी Gorakhpur News
दुबौलिया ब्लाक में सरयू नदी को पार कर किसान अपनी जीविका चलाने के लिए कड़ी मेहनत कर खरीफ की फसल उगाते हैं। सरयू नदी के किनारे बालू के टीले पर गर्मी से निजात दिलाने वाले फसल तरबूज ककड़ी खरबूज लौकी की खेती लहलहाती है।
कृष्ण दत्त द्विवेदी गोरखपुर : बस्ती जिले के दुबौलिया ब्लाक में सरयू नदी को पार कर किसान अपनी जीविका चलाने के लिए कड़ी मेहनत कर खरीफ की फसल उगाते हैं। अप्रैल-मई में जहां चारों तरफ खेत खाली दिखते हैं, वहीं सरयू नदी के किनारे बालू के टीले पर गर्मी से निजात दिलाने वाले फसल तरबूज, ककड़ी, खरबूज, लौकी की खेती लहलहाती है।
तरबूज-खरबूज के लिए भी जाना पड़ता है नदी पार
किसान बताते हैं सरयू नदी खेतों को काटती हुई तटबंध की तरफ आ गई है, जिससे धान आदि की फसल नहीं हो पाती है। तरबूज-खरबूज के लिए भी लोगों को नदी पार कर उस पार जाना पड़ता है, लेकिन जीविका व परिवार के भरण-पोषण के लिए जान जोखिम में डालकर किसान दिन-रात मेहनत कर फसल उगाते हैं। मार्च के आरंभ से ही किसान तरबूज, खरबूज, ककड़ी का बीज डालने के लिए गड्ढा तैयार करने लगते हैं। इसके बाद उसमें बीज व उर्वरक डाल कर गड्ढे को ढक देते हैं। हालांकि चार पांच फीट गड्ढा खोदने के बाद पौधे तक नमी अमूमन पहुंचता रहता है, लेकिन नदी का जलस्तर घटने पर सिचांई करना पड़ता है। किसान सिंचाई के लिए पंप सेट एवं हैंडपंप आदि की व्यवस्था कर रखे हैं।
कोरोना कर्फ्यू के कारण नहीं मिल रहा उचित दाम
किसान रामचंद्र, पहलवान चौधरी, सुरेश राजभर, मुन्नर, अनिल, राम बुझारत आदि बताते हैं कि तरबूज-खरबूज की खेती में मेहनत बहुत लगता है। दिन-रात परिवार के साथ पौधे लगाने के साथ फसल बेचने तक लगा रहना पड़ता है। रात में भी खेत पर सोना पड़ता है। कोरोना कर्फ्यू के चलते स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। लोग तरबूज-खरबूज खरीदने से कतरा रहे है। किसानों का कहना है कि जंगली जानवरों से खुद और फसल को बचाने के लिए वह लोग सपरिवार बांस-बल्ली के सहारे जमीन से कुछ ऊंचाई पर मचान बनाकर रहते हैं। वही से खेत की रखवाली करते हैं।