कोरोना वायरस ने बदल दिया बाजार का व्यवहार, क्रेडिट खत्म- अब केवल नकद का कारोबार Gorakhpur News

कोरोना काल में बाजार का व्यवहार इस कदर बदला कि क्रेडिट प्रणाली खत्म होती जा रही है उसकी जगह अब एडवांस भुगतान पर काम हो रहा है। स्टील प्लास्टिक सहित लगभग हर ट्रेड पर इसका असर नजर आ रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 01:05 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 01:05 PM (IST)
कोरोना वायरस ने बदल दिया बाजार का व्यवहार, क्रेडिट खत्म- अब केवल नकद का कारोबार Gorakhpur News
कोरोना काल में व्‍यापारियों ने उधारी बंद कर दी है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, उमेश पाठक। मार्च 2020 से पूरे देश में लाक डाउन लगा तो अधिकतर औद्योगिक इकाइयां भी ठप हो गईं। अचानक बाजार बंद हो जाने से उद्यमियों का पैसा फंस गया तो उन्हें क'चा माल भेजने वाली बड़ी इकाइयों को भी भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। धीरे-धीरे जब फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हुआ और बाजार अपनी गति पकडऩे लगा तो एक बड़ा बदलाव नजर आया। कोरोना महामारी से बचने के लिए अचानक हुए देशव्यापी बंदी ने नकद के कारोबार को बढ़ावा दिया। बाजार का व्यवहार इस कदर बदला कि क्रेडिट प्रणाली खत्म होती जा रही है, उसकी जगह अब एडवांस भुगतान पर काम हो रहा है। स्टील, प्लास्टिक सहित लगभग हर ट्रेड पर इसका असर नजर आ रहा है।

इकाइयों में तैयार उत्पाद बाजार तक भेजने में भी अपनायी जा रही नकद की प्रणाली

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में औद्योगिक इकाई का संचालन करने वाले उद्यमियों का कहना है कि पहले कच्‍चा माल एक फोन पर फैक्ट्री तक आ जाता था और माल उतारने के बाद उसका भुगतान किया जाता था। पर, लाकडाउन के बाद से ही धीरे-धीरे स्थितियां बदलीं और बिना पूर्ण अग्रिम भुगतान हुए माल रवाना ही नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि यदि 15 लाख 20 हजार रुपये का कच्‍चा माल मंगाया है और 15 लाख का ही भुगतान कर पाए हैं तो भी माल नहीं भेजा जा रहा। इसका असर आगे भी नजर आ रहा है। कच्‍चे माल पर क्रेडिट समाप्त हुआ तो उससे  तैयार माल भी बाजार में तभी पहुंचता है जब व्यापारी पूरा भुगतान कर देते हैं। बाजार में नकद का कारोबार करीब 80 फीसद हो चुका है।

माल डंप करने को तैयार, पर क्रेडिट पर देने को नहीं

उद्यमी तैयार माल फैक्ट्री में रखने को तैयार हैं लेकिन क्रेडिट पर देने को तैयार नहीं हैं। एक बार फिर जब कोरोना पांच पसार रहा है तो उद्यमियों ने पूरी तरह नकद कारोबार पर ही ध्यान दिया है।

पहले जहां 30 से 40 फीसद नकद का कारोबार होता था, वहीं लाक डाउन के बाद यह 80 फीसद तक पहुंच गया है। जिन इकाइयों से क'चा माल क्रेडिट पर आता था, अब वहां से भी नहीं मिलता। मजबूरी में फैक्ट्रियों में तैयार माल भी बाजार में क्रेडिट पर देने से बचा जा रहा है। एडवांस भुगतान के बाद ही माल दिया जा रहा है। यह बदलाव लाक डाउन में पूंजी फंसने के बाद चलन में आया है। - आरएन सिंह, उद्यमी एवं उपाध्यक्ष चैंबर आफ इंडस्ट्रीज।

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