गोरखपुर में भरपूर आ रहीं कोरोना की दवाएं, कहां जा रहीं हैं-आप भी जानें Gorakhpur News

कोरोना संक्रमण से बचाव से जुड़ी दवाओं की इन दिनों सबसे ज्यादा खपत है। शुरुआती कमियों के बाद दवा कंपनियों ने अपना उत्पादन काफी बढ़ा दिया है। इस कारण स्टाकिस्टों तक दवाएं पहुंचनी शुरू भी हो गई हैं।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:30 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 02:45 PM (IST)
गोरखपुर में भरपूर आ रहीं कोरोना की दवाएं, कहां जा रहीं हैं-आप भी जानें Gorakhpur News
दवा की दुकान में दवाओं से संबंधित फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट के स्टाकिस्टों के पास कोरोना संक्रमण से बचाव में खाने वाली दवाएं पर्याप्त मात्रा में आ रही हैं। लेकिन सभी डीलरों को दवाएं न मिलने के कारण दवा की फुटकर दुकानों पर इनकी कमी हो रही है।

कोरोना संक्रमण से बचाव से जुड़ी दवाओं की इन दिनों सबसे ज्यादा खपत है। शुरुआती कमियों के बाद दवा कंपनियों ने अपना उत्पादन काफी बढ़ा दिया है। इस कारण स्टाकिस्टों तक दवाएं पहुंचनी शुरू भी हो गई हैं लेकिन इसके आगे डीलर तक दवाएं न पहुंचने के कारण फुटकर व्यापारियों की दुकानों पर कमी अब भी बरकरार है।

इन दवाओं की ज्यादा मांग

फेविपिराविर - कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखने पर डाक्टर की सलाह पर होता है इस्तेमाल।

कोविड प्रोटोकाल की दवाएं - आइवरमैक्टिन, एजिथ्रोमाइसिन, डाक्सीसाइक्लिन, विटामिन सी, जिंक, विटामिन डी3, मांटेलुकास्ट व लीवोसेट्रिजिन, पैरासीटामाल, पेंटाप्रोजोल।

मेथाइलप्रेडनिसोलोन- संक्रमण ज्यादा बढऩे पर इस ग्रुप की स्टेरायड का इस्तेमाल किया जाता है। जानकारी के मुताबिक थोक दवा मंडी में एमआरपी पर दवा थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट में सीधे मरीज को दवाएं नहीं दी जा सकती हैं। थोक दवा व्यापारी ड्रग लाइसेंस वाले दुकानदारों को उनके लाइसेंस पर जीएसटी वाले बिल पर ही दवाएं बेच सकते हैं लेकिन मंडी में इन दिनों मरीजों को सीधे दवाएं बेची जा रही हैं। मंडी में पहुंचने वाले मरीजों को दुकानदार एमआरपी पर दवा दे रहे हैं। बाजार में दवा उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को मंडी में पहुंचना पड़ रहा है।

अब भालोटिया मार्केट में नहीं मिलेगी फेवीफ्लू

गोरखपुर: कोरोना संक्रमण के रोकथाम में इस्तेमाल की जाने वाली फेविपिराविर ब्रांड नाम फेवीफ्लू अब भालोटिया मार्केट में मरीजों के स्वजन को सीधे नहीं दी जाएगी। दवा की पर्याप्त उपलब्धता के बाद औषधि प्रशासन विभाग ने सभी व्यापारियों को निर्देश दिए हैं कि वह सीधे मरीज के स्वजन को किसी हाल में दवा न दें। फेविपिराविर मालीक्यूल की सभी दवाएं अब दवा की फुटकर दुकानों से डाक्टर के पर्चे पर ही बेची जाएंगी।

अगले हफ्ते से निजी अस्पतालों में मिलेगी रेमडेसिविर

प्रशासन के नियंत्रण में आने के बाद कोरोना संक्रमण रोकने में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मारामारी कम हो गई है। डाक्टर का पर्चा, डीएम का प्रोफार्मा, मरीज के आधारकार्ड व स्वजन के आधारकार्ड की फोटोकापी के आधार पर कलेक्ट्रेट स्थित आपदा कार्यालय से रेमडेसिविर दी जा रही है। ड्रग इंस्पेक्टर जय ङ्क्षसह ने बताया कि अभी सुबह मरीज के स्वजन जरूरी कागजात जमा कर रहे हैं। उन्हें टोकन देकर इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। अगले सप्ताह से इसकी उपलब्धता काफी हो जाएगी। तब इंजेक्शन सभी कोविड अस्पतालों में उपलब्ध करा दी जाएगी। इससे मरीजों को वहीं से इंजेक्शन दे दी जाएगी। औषधि प्रशासन विभाग उपलब्धता पर नजर रखेगा।

ब्रांड नाम से न हों परेशान

ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने कहा कि बाजार में दवाओं की कोई कमी नहीं है। कंपनियों के साथ ही सीएंडएफ से लगातार बात चल रही है। स्टाकिस्ट के स्तर पर यदि दवाएं रोकी जा रही हैं तो यह गलत है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मरीज के स्वजन कोविड प्रोटोकाल की दवाएं ब्रांड नाम से न मिले तो परेशान न हों, किसी भी कंपनी की उसी मालीक्यूल की दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। दवा मिलने में कोई दिक्कत हो तो औषधि प्रशासन विभाग से शिकायत करें।

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