Corona Warriors: सौ साल के लालजी से हार गया कोरोना, ऐसी है सौ साल के इस योद्धा जीवन शैली

Corona Warriors अपने आत्मबल के भरोसे गोरखपुर के सौ वर्षीय लालजी पांडेय ने कोरोना वायरस को मात दी है। कोरोना की पुष्टि के बाद वह तीस दिन तक ओम आइसोलेशन में रहे लेकिन अपनी नियमित दिनचर्या जारी रखते हुए अंतत कोरोना पर विजय हासिल कर ली।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 07:02 AM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 07:02 AM (IST)
Corona Warriors: सौ साल के लालजी से हार गया कोरोना, ऐसी है सौ साल के इस योद्धा जीवन शैली
कोरोना को हराने वाले सौ साल के लालजी। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। परंपरागत भारतीय जीवनशैली कोरोना की दूसरी लहर पर भारी पड़ती दिखी। इसी को अपनाकर जज्बा व आत्मबल के भरोसे सौ वर्षीय लालजी पांडेय ने भी कोरोना को मात दी है। बुखार हुआ, जांच में कोरोना की पुष्टि हुई। इसके बाद वह तीस दिनों तक ओम आइसोलेशन में रहे, लेकिन अपनी नियमित दिनचर्या जारी रखते हुए अंतत: कोरोना पर विजय हासिल कर ली।

घर पर रहकर ही किया इलाज

गोपालगंज बिहार के रहने वाले लालजी पांडेय जो वर्तमान में शहर के जेल रोड स्थित मधुसूदन भवन में रह रहे हैं। बतौर कस्टम अधिकारी सेवा दे चुके उनके पुत्र रविंद्रनाथ पांडेय बताते हैं कि गत 14 अप्रैल को बुखार होने पर मैंने पिताजी सहित पूरे घर के सदस्यों की जांच कराई। जिसमें मैं, घर पर रहने वाले एक सेवक की रिपोर्ट पाजिटिव आई। मेरी पत्नी संक्रमित नहीं थी, ऐसे में होम आइसोलेशन के दौरान पिताजी की सेवा की जिम्मेदारी उनके उपर आ गई। शहर के चिकित्सक डा. ऋषभ गोयल की सलाह पर कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए इलाज शुरू किया।

इस दौरान बीच-बीच में दिल्ली में रहने वाले लालजी पांडेय के छोटे पुत्र सत्येंद्र प्रकाश व चिकित्सक डा. सतपाल सिसोदिया भी अपनी सलाह से समय-समय पर उनका हौसला बढ़ाते रहे। खास बात यह रही कि घर के अन्य सदस्य विचलित नजर आएं पर पिताजी कभी नहीं। बल्कि उन्होंने हमेशा आत्मबल ही बढ़ाया।

भारतीय जीवन शैली से कोरोना को हराया

बीमार रहते हुए भी उन्होंने पहले की तरह योग, प्रणायाम, नियमित एक घंटे टहलना जारी रखा। भांप के साथ काढ़ा लेना भी कभी नहीं भूले। पिताजी के आत्मबल का फलसफा बताते हुए उनके पुत्र कहते हैं जब से मैंने होश संभाला तब से हमेशा उनको संयम में ही देखा। सुबह पांच बजे उठना और रात को दस बजे सोना आज भी उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।

शाकाहारी हैं इसलिए वह सुबह आठ बजे नाश्ते में सेव, पपीता, मौसमी फल के साथ ही नमकीन दलिया का सेवन करते हैं। जबकि दोपहर बारह बजे के भोजन में दाल, रोटी, चावल के साथ दही व हरी सलाद का पूरे साल सेवन करते हैं। शाम को नाश्ते में चना, चावल व चूड़ा का भुजा लेना कभी नहीं भूलते। शायद यही उनके सौ साल तक स्वस्थ्य रहने का मूलमंत्र है।

ऐसी है लालजी की दिनचर्या

सौ साल की उम्र में भी मधुमेह जैसी बीमारी से दूर रहे लालजी पांडेय शुरू से ही गर्म पानी पीते हैं। सुबह उठने व नित्यक्रिया से निवृत्त होने के बाद नींबू, शहद व पानी का भी नियमित सेवन करते हैं। आज भी तली-भुनी चीजों से परहेज करते हैं तथा युवाओं को फास्टफूड से दूर रहने की सलाह देते हैं।

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