कोरोना की एंटीजन जांच ही सबसे कारगर, दूसरी जांच की बजाय होम क्वारंटाइन रहना ही बेहतर Gorakhpur News
बीआरडी के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अमरेश सिंह का कहना है कि कोरोना के जीन में बदलाव के चलते आरटीपीसीआर की किट संक्रमण की पहचान नहीं कर पा रही है। एंटीजन किट कोरोना वायरस के बाहरी स्वरूप को पकड़ती है इसलिए उसकी जांच सौ फीसद सही है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना के संक्रमण की पहचान के लिए सबसे भरोसेमंद मानी जाने वाले पालीमरेज चेन रिएक्शन (आरटीपीसीआर) जांच अब सटीक नहीं रही, ऐसी आशंका सिर उठाने लगी है। वजह है, कोरोना वायरस के जीन में बदलाव। विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीजन की जांच सौ फीसद खरी है। इस जांच में पाजिटिव आने के बाद आरटीपीसीआर जांच कराने की जरूरत नहीं है। 10 दिन होम क्वारंटाइन रहना ही सबसे बेहतर विकल्प है। इसके बाद पुन: एंटीजन जांच कराएं। निगेटिव आने पर ही घर से बाहर निकलें।
संक्रमण की पहचान नहीं कर पा रही आरटीपीसीआर की किट
एंटीजन किट से जांच में पाजिटिव आए कई लोगों की आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अमरेश सिंह का कहना है कि कोरोना के जीन में बदलाव के चलते आरटीपीसीआर की किट संक्रमण की पहचान नहीं कर पा रही है। एंटीजन किट कोरोना वायरस के बाहरी स्वरूप को पकड़ती है, इसलिए उसकी जांच सौ फीसद सही है। यदि एंटीजन से जांच रिपोर्ट निगेटिव आए तो वह संदेहास्पद हो सकती है, लेकिन पाजिटिव रिपोर्ट में संदेह की गुंजाइश नहीं है।
एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच में अंतर
एंटीजन किट कोरोना के स्पाइक प्रोटीन (बाहरी स्वरूप) को पकड़ती है। उसमें कोई बदलाव न होने से वह पूरी तरह कोरोना को पहचानने में कामयाब हो रही है। आरटीपीसीआर किट से कोरोना के जीन की जांच होती है। हाल में इस वायरस के जीन में तेजी से बदलाव हुआ है। इसलिए किट अक्सर इसके जीन को पकड़ नहीं पा रही और रिपोर्ट निगेटिव आ जा रही है। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अमरेश सिंह का कहना है कि इस समय कोरोना के जीन तेजी से बदलाव हुआ है। इस वजह से आरटीपीसीआर किट उसे पकडऩे में सक्षम नहीं हो पा रही है। इसलिए एंटीजन की जांच रिपोर्ट पर भरोसा करें और पाजिटिव आने पर पूरी सतर्कता बरतें।