सहूलियत की दरकार, तब लगाई यूपी में मिलाने की गुहार

कुशीनगर जनपद से सटे बिहार के एक दर्जन सीमावर्ती गांव स्वास्थ्य चिकित्सा बाजार के लिए कुशीनगर पर निर्भर हैं यहां के लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जिले के निकटवर्ती बाजारों पर निर्भर करते हैं इनका कहना है कि उनके लिए बिहार के बाजार काफी दूर हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 04:00 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 04:00 AM (IST)
सहूलियत की दरकार, तब लगाई यूपी में मिलाने की गुहार
सहूलियत की दरकार, तब लगाई यूपी में मिलाने की गुहार

कुशीनगर : यूपी-बिहार में सीमा विवाद नहीं है। दोनों प्रदेश की सरकारों में भी तकरार नहीं है, लेकिन सहूलियत की दरकार बिहार के सीमाई इलाकों के ग्रामीणों को उत्तर प्रदेश में घर-बार खड़ा करने के लिए मजबूर कर रही है। जो बात पहले चर्चाओं में थी, अब मांग में बदलने लगी है। बिहार के ये ग्रामीण यूपी में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा व बाजार की सुविधा उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही है।

बिहार के गोपालगंज जिले के भेड़िया गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक योगेन्द्र मिश्र ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में अपने गांव को यूपी को दे देने की मांग की। इसके बाद से मामला चर्चा में है। यूपी के कुशीनगर की सीमा से 800 मीटर के दायरे में आने वाले गोपालगंज सल्लेपुर, काली मटिहिनियां, रामपुर मुकुन, इशरा पट्टी, भगवानपुर, पकड़ी, बरवां, बिहार मैरवां, अमवां, भोभीचक, बथनाकुट्टी, किनवारी टोला, कोटनरहवां, शुकदेव पट्टी के ग्रामीण कुशीनगर के तिनफेड़ियां, सलेमगढ़, लतवांचट्टी, सेवरही, तमकुहीराज के बाजारों से अपनी जरूरत पूरी करते हैं। कारोबार भी यहीं से करते हैं। यानी कारोबार से लेकर शिक्षा तक की सभी जरूरतें कुशीनगर से पूरी होती हैं। यही सुविधाएं अपने जिले में पाने के लिए उन्हें काफी दूर जाना पड़ता है।

गोपालगंज के कोटनहरवां गांव के संजय राय कहते हैं कि हमारी शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा यूपी पर निर्भर है। हम भले बिहार में रह रहे हों, लेकिन जीते यूपी में हैं। मूलभूत सुविधाएं मसलन बिजली, पानी, सड़क यहां भी अच्छी हैं, लेकिन पढ़ाई और कमाई भी तो चाहिए। बथनाकुटी गांव के तारकेश्वर तिवारी कहते हैं कि हमारे गांव में आवागमन की सुविधा अच्छी है, लेकिन आजीविका और बाजार होने के नाते हम यूपी से सीधे जुड़े हुए हैं। बरवां के हरिनारायण तिवारी बताते हैं कि हमारे गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव नहीं है, लेकिन बाजार और कारोबार से तो हम यूपी से ही जुड़े हुए हैं। हफुआ जीवन गांव के रामबिलास गुप्ता कहते हैं कि कई लोग यूपी में ही घर बनाकर बस गए हैं। वह कहने भर के लिए बिहार के हैं।

जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि ग्रामीणों की मांग के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। यह शासन स्तर की बात है। कुशीनगर के बिहार सीमा से सटे बाजार समृद्ध हैं। स्थानीय लोगों के साथ बिहार के लोगों को भी सुविधा मिलती है।

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