शासन व्यवस्था संचालन का आदर्श मानक है संविधान

अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हरीश शर्मा ने कहा कि भारत का संविधान शासन व्यवस्था के संचालन का आदर्श मानक है। प्रत्येक नागरिक को संविधान के मूलभूत सिद्धांत और नियमों की जानकारी होनी चाहिए। विशेष रूप से संविधान में प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 10:52 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 10:52 PM (IST)
शासन व्यवस्था संचालन का आदर्श मानक है संविधान
शासन व्यवस्था संचालन का आदर्श मानक है संविधान

सिद्धार्थनगर : अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हरीश शर्मा ने कहा कि भारत का संविधान शासन व्यवस्था के संचालन का आदर्श मानक है। प्रत्येक नागरिक को संविधान के मूलभूत सिद्धांत और नियमों की जानकारी होनी चाहिए। विशेष रूप से संविधान में प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। लोकतंत्र में जनसहभागिता जितनी अधिक मात्रा में बढ़ेगी, उसी अनुपात में लोकतंत्र के माध्यम से लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा भी साकार होगी।

उन्होंने यह बात शुक्रवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से हुए राष्ट्रीय संविधान दिवस कार्यक्रम में कही। छात्र व छात्राओं को संविधान की विशेषताओं को बताया। प्राचीन इतिहास विभाग की अध्यक्ष डा. नीता यादव ने कहा कि संघर्ष और त्याग-तपस्या के बाद देश स्वतंत्र हुआ। इसके बाद संविधान का निर्माण हुआ। आज उसी संविधान के नियमों और विधान के माध्यम से भारत विकसित हो रहा है। लोक प्रशासन विभाग की अध्यक्ष डा. सुनीता त्रिपाठी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के संविधान बनने के पीछे लंबा इतिहास है। भारत की चिता करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने गुलाबी काल में ही सुंदर भारत के लिए संविधान की संरचना के बारे में सोचना प्रारंभ कर दिया था। उसी परिकल्पना और आधारभूत का परिणाम है, यहां का समृद्ध संविधान। इतिहास विभाग के अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद चौबे ने कहा कि बलिदानियों के बलिदान के बाद देश आजाद हुआ। हमारा कर्तव्य है कि संविधान में बताए गए नियम के अनुसार आचरण व्यवहार का पालन करें। अंग्रेजी विभाग के डा. हृदयकांत पांडेय ने कहा कि जीवन निर्धारण की बहुत ही प्रामाणिक निर्देश वेदों में उपलब्ध है। आधुनिक युग में जिस संविधान में जीवन निर्वाह कर रहे हैं, इससे बहुत पहले सनातन धर्म ग्रंथ जीवन निर्वहन की दिशा दिखाने का काम किया है। कार्यक्रम संयोजक डा. अविनाश प्रताप सिंह ने कहा कि जागरूक नागरिक राष्ट्र के विकास का आधार होते हैं। उन्हीं पर राष्ट्र का भविष्य भी निर्भर होता है। संविधान में दी गई व्यवस्थाओं के अनुरूप अपने आचरण व्यवहार से विकास करें। संचालन डा. सरिता सिंह ने किया। डा. मनीषा बाजपेयी, डा. देवबक्स सिंह, डा. जयसिंह यादव, डा. रविकांत शुक्ला, डा. वंदना गुप्ता, डा. आभा द्विवेदी, डा. रेनू त्रिपाठी, डा. शरदेंदु त्रिपाठी, डा. अरविद रावत, डा. अमित साहनी, डा. यशवंत यादव, डा. हरेंद्र शर्मा आदि मौजूद रहे।

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