यह थाने हैं या कबाड़खाने, यहां महत्वपूूूर्ण अभिलेख तक सुरक्षित नहीं Gorakhpur News
गोरखपुर के अधिकांश थानों मे मालखाने कबाडखाने की स्थिति में आ गए हैं। स्थिति यह है कि थानों के महत्वपूूूर्ण अभिलेख तक सुरक्षित नहीं रह गए हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। मालखाना, किसी भी थाने का सबसे अहम हिस्सा होता है। तमाम मुकदमों से जुड़े साक्ष्य और दस्तावेज मालखाने में ही रखे जाते हैं। इसके बावजूद अधिकतर थानों के मालखानों का हाल काफी बुरा है। खासकर पुराने थाना भवन में स्थित मलाखाने तो बेहद खस्ता हाल में हैं। तेज बारिश होने पर कई थानों की छत टपकने भी लगती है। कुछ थानों के मालखाने तो देखने में कबाड़खाने के पर्याय बन गया है।
पुराने थाना भवन में स्थित मालखानों का है बुरा हाल
किसी भी मुकदमे से जुड़े साक्ष्य और सामान के अलावा लावारिस मिली वस्तु, जब्त किए जाने वाले सामान थाने के मालखाने में ही रखे जाते हैं। हालांकि इससे पहले थाने की जनरल डायरी (जीडी) में इसका विवरण दर्ज होता है। इसके बाद मालखाना प्रभारी, मालखाने के रजिस्टर में भी सामान का विवरण दर्ज करता है और उसका अलग से नंबर अलाट करता है। मालखाने में सामान रखने से पहले मुकदमे से संबंधित विवरण और नंबर की स्लीप सामान पर लगा दी जाती है। बाद में जरूरत पडऩे पर नंबर के आधार पर सामान निकाला जाता है। मालखानों के प्रभारी अपनी तरफ से तो सामान को सहेज कर रखने की कोशिश करते हैं, ताकि वक्त पडऩे पर उसे आसानी से तलाश सकें, लेकिन कई थानों में बरामद सामान इतना अधिक है कि मालखाने के छोटे से कमरे में उन्हें सहेजकर रखना आसान नहीं होता। लावारिस मिले सामान की निलामी की प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि आसानी से उसका भी निस्तारण नहीं हो पाता। धीरे-धीरे मालखाने में सामान बढ़ता जाता है। जिसके चलते मालखाने की हालत कबाड़खाने में बदल जाती है।
बारिश में टपकने लगती है कई थानों के मालखानों की छत
जनपद के कई थाने पुराने भवनों में चल रहे हैं। शहर का सबसे अहम थाना कैंट और कोतवाली इसका उदाहरण है। कैंट थाना अभी भी खपरैल के भवन में चल रहा तो कोतवाली थाने की बिल्डिंग सौ साल से अधिक की हो गई है। पुराने भवनों में चल रहे थानों के मालखाने भी उसी में होते हैं। जब भी तेज बारिश होती है, इन थानों के मालखाना प्रभारियों की मुश्किल बढ़ जाती है। मालखाने की छत टपकने की वजह से अंदर रखे सामान को भीगने से बचाना मालखाना प्रभारी के लिए चुनौती भरा काम होता है। मुकदमों की समय से विवेचना पूरी न होने और कोर्ट में चार्जशीट न होने से भी उससे जुड़े सामान मालखाने में ही पड़े रहते हैं। मुकदमे की सुनवाई शुरू होने और उसमें फैसला आने के बाद ही उससे संबंधित सामान संबंधित व्यक्ति को सौंपा जाता है। ऐसे में मलाखानों पर सामान का बोझ बढ़ता रहता है।
मालखानों को व्यवस्थित रखने का हर संभव प्रयास किया जाता है। समय-समय पर थाना भवन की मरम्मत भी कराई जाती है। ताकि छत टपकने से सामान खराब न हो। - डा. सुनील गुप्त, एसएसपी।