महराजगंज में प्राइवेट अस्पतालों से गठजोड़ में कमीशन का खेल
गरीब प्रसूताओं का सुरक्षित प्रसव सरकारी अस्पतालों में हो इसकी जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता की है लेकिन अधिक कमीशन के चक्कर में आशा प्राइवेट अस्पतालों में प्रसूता की डिलेवरी करा रहीं है। इसमें कुछ डाक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध है जिसके सांठगांठ का लाभ प्राइवेट अस्पताल उठा रहे हैं।
महराजगंज: प्रसव पीड़िता को लेकर कुछ प्राइवेट अस्पताल की मनमानी जारी है। कमीशन के खेल में स्वास्थ्यकर्मियों का प्राइवेट अस्पताल से गठजोड़ हो गया है, जिनके पास आपरेशन करने का काई अधिकार भी नहीं है, वह भी धड़ल्ले से प्रसव पीड़िता का आपरेशन कर जहां मोटी रकम वसूल रहे हैं, वहीं गंभीर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं। एसएनसीयू वार्ड में बढ़ रही बाहरी नवजात की संख्या इस बात की तस्दीक कर रही है। स्वास्थ्य अधिकारी भी इस बात को दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। लेकिन कागजी लिखा-पढ़ी में सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है।
गरीब प्रसूताओं का सुरक्षित प्रसव सरकारी अस्पतालों में हो, इसकी जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता की है, लेकिन अधिक कमीशन के चक्कर में आशा प्राइवेट अस्पतालों में प्रसूता की डिलेवरी करा रहीं है। इसमें कुछ डाक्टरों की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसके सांठगांठ का लाभ प्राइवेट अस्पताल उठा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन के अभाव में डिलीवरी के लिए पीड़िता को जिला अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है। इस दौरान आशा उन्हें सरकारी अस्पतालों में ले जाने की बजाय, कमीशन के चक्कर में प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंच जाती हैं। अस्पताल में नार्मल डिलेवरी की जगह आपरेशन के नाम पर मोटी रकम वसूल की जाती है। अगर कोई केस सफल हो गया तो वाह-वाह, अन्यथा बिगड़ने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है और तो और नवजात के लिए प्राइवेट अस्पतालों में एसएनसीयू की व्यवस्था नहीं होने पर उन्हें जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। जिससे एसएनसीयू वार्ड में बेड की क्षमता से तीन गुना नवजात भर्ती हो रहे हैं। डीएम के आदेश के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
संस्थागत प्रसव में रूचि नहीं लेने वाली आशा कार्यकर्ता को चिह्नित कर कार्रवाई करने के लिए डेढ़ माह पूर्व ही जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार द्वारा निर्देशित किया जा चुका है। बावजूद स्वास्थ्य विभाग अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। सिर्फ औपचारिकता निभाकर अपने दायित्वों की इतिश्री कर ली है। अप्रैल 2021 से बीते अगस्त तक की स्थिति
- सरकारी अस्पताल में नार्मल प्रसव- 12372
- सरकारी अस्पताल में आपरेशन से प्रसव- 160
- प्राइवेट अस्पताल में कुल प्रसव- 1441 ''संस्थागत प्रसव को लेकर व्यवस्था में पहले से काफी सुधार हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ समस्याएं आई हैं, लेकिन सभी आशा को निर्देशित किया गया कि वह अधिक से अधिक प्रसव सरकारी अस्पताल में ही कराएं। इसके लिए उनके कार्यों की जांच व समीक्षा भी की जाती है। प्राइवेट अस्पतालों को भी नियमों के अनुसार ही कार्य करने की चेतावनी जारी की जाएगी।
डा. एके श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी