बृजमनगंज में मिले सिक्‍के 12 सौ साल पुराने, ग्रामीण को मिले थे बंद बर्तन में चांदी के सिक्‍के

नौ दिसंबर 2020 को जब खुदाई के दौरान यह सिक्के एक धातु के बर्तन में मिले तो गांव का एक व्यक्ति उन उन्हें लेकर अपने घर चला गया। लोगों ने जब पुलिस को सूचना दी तो व्यक्ति को तलाश कर सिक्कों वाले बर्तन को कब्जे में ले लिया गया।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 04:55 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 06:57 PM (IST)
बृजमनगंज में मिले सिक्‍के 12 सौ साल पुराने, ग्रामीण को मिले थे बंद बर्तन में चांदी के सिक्‍के
बौद्ध संग्रहालय में रखे गए हैं चांदी के सिक्‍क।

गोरखपुर, जेएनएन। सरयू नहर परियोजना के तहत महराजगंज के बृजमनगंज क्षेत्र के सोनाबंदी लोटन गांव में खुदाई के दौरान मिले चांदी के सिक्कों पर पुरातात्विक अध्ययन शुरू हो गया है। प्राथमिक अध्ययन में इन सिक्कों का इतिहास प्रतिहार काल से जुड़ता नजर आ रहा है। ऐसे में इसे कम से कम 1200 वर्ष पुराना माना जा रहा है। कुछ सिक्कों पर बना वाराह का चित्र इस प्राथमिक अध्ययन का आधार है। हालांकि राजकीय बौद्ध संग्रहालय में संरक्षित इन सिक्कों के काल पर पुख्ता मुहर विस्तृत अध्ययन के बाद ही लगने की बात संग्रहालय प्रशासन कह रहा है।

एक बर्तन में मिले थे चांदी के सिक्‍के

नौ दिसंबर 2020 को जब खुदाई के दौरान यह सिक्के एक धातु के बर्तन में मिले तो गांव का एक व्यक्ति उन उन्हें लेकर अपने घर चला गया। लोगों ने जब पुलिस को सूचना दी तो व्यक्ति को तलाश कर सिक्कों वाले बर्तन को कब्जे में ले लिया गया। पुलिस ने उस बर्तन को तोड़कर देखा तो उसमें छोटे-छोटे आकार के प्राचीन चांदी के सिक्के मिले। मिट्टी लिपटे उन सिक्कों का वजन चार किलो 244 ग्राम पाया गया। इसे लेकर पुलिस ने क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी से संपर्क साधा तो उन्होंने उन सिक्कों को राजकीय बौद्ध संग्रहालय में संरक्षित करने की संस्तुति की। इस क्रम में वह सिक्के 19 फरवरी को संग्रहालय में लाए गए। संग्रहालय प्रशासन ने उसे साफ कराकर अध्ययन शुरू किया तो प्राथमिक रूप से इन सिक्कों की ऐतिहासिकता प्रतिहार काल से जोड़ी। प्राथमिक अध्ययन की पुष्टि के लिए शोध का सिलसिला जारी है।

मिहिर भोज काल के हो सकते हैं सिक्के

प्राथमिक अध्ययन में सिक्कों के प्रतिहार काल से जुडऩे का कारण उसपर उभरा वाराह का चित्र है। शक्तिशाली प्रतिहार राजा मिहिर भोज के कुछ सिक्कों में उसे आदि वाराह भी माना गया है। इसके अलावा मिहिर भोज का शासन बंगाल के पश्चिमी हिस्से तक माना जाता है। ऐसे में महाराजगंज का यह हिस्सा भी प्रतिहार राजा के दायरे में था। इस आधार पर संग्रहालय प्रशासन इसे प्राथमिक तौर पर मिहिर भोज के काल का मान रहा है। राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डा. मनोज कुमार गौतम का कहना है कि बृजमनगंज के सोनाबंदी लोटन गांव से मिले ऐतिहासिक चांदी के सिक्कों को संरक्षित कर लिया गया है। सिक्कों की साफ-सफाई के बाद शोध अध्ययन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बहुत जल्द इसके काल का संशय दूर हो जाएगा। इन सिक्कों के मिलने से पूर्वांचल की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध हुई है।

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