जनभावनाओं को देखते हुए इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया : योगी

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को गोरखपुर पहुंचे। उन्होंने कुसुम्‍ही जंगल स्थित बुढिया माई मंदिर का दर्शन किया। सीएम दशहरा तक गोरखपुर रहेंगे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 16 Oct 2018 03:52 PM (IST) Updated:Tue, 16 Oct 2018 10:39 PM (IST)
जनभावनाओं को देखते हुए इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया : योगी
जनभावनाओं को देखते हुए इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया : योगी
गोरखपुर, (जेएनएन)। नवरात्र पर गोरक्षपीठाधीश्वर के दायित्व को निभाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को गोरखपुर पहुचे। गोरखपुर पहुंचने के बाद सीएम कुसुम्‍ही जंगल स्थित बुढिया माई मंदिर गए। वहां उन्होंने बुढिया माई का दर्शन किया। बुढ़िया माई मंदिर के बाहर मीडिया से बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि पांच सौ साल पूर्व इलाहाबाद का नाम प्रयाग ही था। त्रिवेणी का संगम होने के कारण यह प्रयागराज हुआ। विरोध करने वालों  में जिन्हें अपने इतिहास और परंपरा के बारे में जानकारी नहीं उनसे बहुत उम्मीद नहीं की जा सकती। हिमालय से निकलने वाली पवित्र नदियों के किनारे कई प्रयाग हैं लेकिन यह प्रयागों का राजा है। हमारी सरकार ने जनभावना को देखते हुए इसका नाम प्रयागराज रखा है।
विजयादशमी तक गोरखपुर रहेंगे सीएम
सीएम विजयादशमी के आनुष्ठानिक कार्यक्रम तक गोरखनाथ मंदिर में ही प्रवास करेंगे। गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर की परंपरा के मुताबिक अष्टमी की रात में गोरक्षपीठाधीश्वर महानिशा पूजन करके शस्त्र पूजन के साथ हवन करेंगे। इस आनुष्ठानिक कार्यक्रम की शुरुआत शाम छह बजे गौरी-गणेश की पूजा से होगी। इसके बाद पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ बारी-बारी से वरुण पूजन, पीठ पूजन, यंत्र पूजन, भगवान राम-लक्ष्मण-सीता का षोडसोपचार पूजन, भगवान कृष्ण व गोमाता पूजन, नवग्रह पूजन, विल्व अधिष्ठात्री देवता पूजन, शस्त्र पूजन, द्वादस ज्योर्तिंलिंग- अर्धनारीश्वर, शिव-शक्ति पूजन, वटुक भैरव, काल भैरव, त्रिशूल पर्वत पूजन करेंगे। पूजन बेदी पर उगाए गए जौ के पौधे को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं आचार्यगण द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच बांटा जाएगा। हवन सम्पन्न होने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा। इस दौरान सात्विक बलि के रूप में मुख्यमंत्री नारियल, गन्ना, केला, जायफर आदि की बलि देकर शक्ति की आराधना पूर्ण करेंगे। मान्यता है कि निशा पूजा एवं सात्विक पंच बलि से शारीरिक एवं मानसिक क्लेश दूर होते हैं।
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