सोच बदलने से सफल होगा स्वच्छ भारत अभियान : प्रो. अजय

जागरण विमर्श कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के आचार्य ने रखे विचार।

By Edited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 01:40 AM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 02:42 PM (IST)
सोच बदलने से सफल होगा स्वच्छ भारत अभियान : प्रो. अजय
सोच बदलने से सफल होगा स्वच्छ भारत अभियान : प्रो. अजय
गोरखपुर, (जेएनएन)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के आचार्य और विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व समन्वयक प्रो. अजय शुक्ल ने स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने में हो रही देरी पर चिंता जताई और इसकी वजह पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान की जो गति मिलनी चाहिए थी, वह आज तक नजर नहीं आ सकी है। 2 अक्टूबर 2014 से आज तक स्वच्छता का वह लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका, जिसका सपना देखा गया था।
प्रो. शुक्ल दैनिक जागरण के पाक्षिक विमर्श कार्यक्रम में सोमवार को 'स्वच्छ भारत अभियान की बाधाएं' विषय पर अपना विचार रख रहे थे। अभियान के लक्ष्य की प्राप्ति में हो रही देरी और इसके मार्ग में आ रही बाधा पर चर्चा करते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि इसके पीछे सबसे बड़ी समस्या सोच को लेकर है। दरअसल लोग अपनी सोच को अभियान के साथ अब तक जोड़ नहीं सके हैं। स्वच्छता को अपने जीवन से जोड़कर नहीं देख सके हैं।
स्वच्छता को लेकर सोच बदलना जरूरी
स्वच्छता को लेकर सोच को बदलना बेहद जरूरी है और यह सिर्फ और सिर्फ जागरूकता से ही संभव है। जागरूकता की जिम्मेदारी किसी वर्ग विशेष या व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि जन-जन की है। ऐसा करके ही अभियान के लक्ष्य को पाया जा सकता है। अभियान की सफलता की राह में आ रही बाधाओं की चर्चा के क्रम में ही उन्होंने इसे आध्यात्मिकता से जोड़ा। कहा कि स्वच्छता भगवान की ओर बढ़ने वाला कदम है। यदि देश की जनता द्वारा इस अभियान का पूरी ईमानदारी से अनुसरण किया जाए तो चंद वर्षो में हमारा देश भगवान का निवास स्थल बन जाएगा। यह भी समझने की जरूरत है कि स्वच्छता अगर होगी तो दिमाग स्वस्थ होगा, दिमाग स्वस्थ होगा तो हमारी क्षमता भी बढ़ेगी। इससे कार्यकुशलता में बढ़ोत्तरी होगी, जिसका सीधा रिश्ता देश के विकास से जुड़ा है। क्लीन कंट्री, ग्रीन कंट्री और ड्रीम कंट्री का फार्मूला इसी से जुड़ा है।
स्वच्छता को इवेंट बना देना भी बड़ी बाधा
प्रो. अजय शुक्ल ने कहा कि जब से स्वच्छ भारत अभियान शुरू हुआ है, लोग बड़ी संख्या में इससे जुड़े हैं। लेकिन इसमें एक दिक्कत यह है कि ज्यादातर लोगों ने इसे इवेंट के तौर पर लिया है। सहज अभियान जब इवेंट बन जाता है तो लक्ष्य और मिशन पीछे छूट जाता है और बनावटीपन प्रभावी हो जाता है। अभियान को उत्सवी बनाने की बजाय उसे आत्मसात किया जाए तो इसके बेहतर परिणाम जल्द सामने दिखने लगेंगे। कचरा प्रबंधन का नहीं है समुचित इंतजाम एक अनुमान के मुताबिक भारत में एक लाख 57 हजार 478 टन कचरा हर रोज़ इकट्ठा होता है लेकिन सिर्फ 25प्रतिशत कचरे के निपटारे का इंतजाम उपलब्ध हैं। ऐसे में बाकी कूड़ा खुले में प्रदूषण फैलाता रहता है। इसका परिणाम यह है कि लगभग सभी शहरों में कूड़े के ढ़ेर स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरा बन गए हैं। इसके लिए कचरे के निस्तारण का प्रभावी तरीका विकसित करना होगा। सरकार को भी इसमें भरपूर बजट का इंतजाम करना होगा।
अभियान नहीं आदोलन है स्वच्छता
प्रो. अजय शुक्ल ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान महज एक अभियान नहीं बल्कि जनांदोलन है। इसे देशभक्ति से जोड़ कर देखा जाना चाहिए न कि राजनीति से जोड़ के। ऐसे में इस आंदोलन रूपी अभियान को सफल बनाना चंद सरकारी सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि ¨हदुस्तान में रखने वाली एक अरब 25 करोड़ की जनता इसके लिए जिम्मेदार है। जब हम मंगल ग्रह में अपने पांव रख सकते हैं तो अपने आसपास सफाई रखना तो बहुत ही सामान्य कार्य है।
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