Effect coronavirus: सीआइसीएसई बोर्ड ने पाठ्यक्रम को घटाया, गोरखपुर में पहुंचा आदेश Gorakhpur News
बच्चों को पढ़ाने के लिए जितना समय चाहिए वह नहीं मिल रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर सत्र-2020-21 में पाठ्यक्रम कम किया गया है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संकट के बीच लगातार ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर बच्चों की पढ़ाई जारी रखने वाले सीआइसीएसई बोर्ड ने बच्चों की सुविधा के लिए पाठ्यक्रम कम करने का निर्णय लिया है। बोर्ड ने कक्षा-9 से 12 तक के छात्रों का पाठ्यक्रम कम करते हुए कहा है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए जितना पर्याप्त समय चाहिए वह नहीं मिल रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर सत्र-2020-21 में पाठ्यक्रम कम किया जा रहा है, विद्यालय खुलने पर छात्र इन पाठ्यक्रमों को पुन: दोहरा सकेंगे। बोर्ड का यह आदेश गोरखपुर के 19 विद्यालयों में पहुंच गया है।
बोर्ड ने ऐसे कम किए पाठ्यक्रम
सीआइसीएसई बोर्ड ने जो पाठ्यक्रम में कम किए हैं, उसके तहत हाईस्कूल में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायो, मैथ, इतिहास व भूगोल में चैप्टर तो पूरे हैं, लेकिन बीच के कुछ हिस्सों को उपयोगिता के हिसाब से लगभग 25 फीसद कम किया गया है। इसके अलावा हाईस्कूल के अंग्रेजी विषय में पद्य व गद्य के दस चैप्टर में से एक-एक, हिंदी विषय में कहानी में दस चैप्टर में से तीन, कविता में दस में से दो तथा एकांकी में दस में से एक चैप्टर कम हुए हैं। इसी प्रकार इंटर में अंग्रेजी में पद्य व कहानी के दस चैप्टर में से एक-एक तथा अंग्रेजी विषय में गद्य संकलन व काव्य मंजरी के दस चैप्टर में से दो-दो कम किए गए हैं।
बच्चों पर नहीं पड़ेगा अतिरिक्त भार
इस संबंध में स्कूल एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अजय शाही का कहना है कि कोविड-19 के कारण सीआइसीएसई बोर्ड के सभी बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है। पाठ्यक्रम को कम करना बोर्ड द्वारा छात्रहित में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे बच्चों को इस परिस्थिति में अतिरक्त भार नहीं पड़ेगा और वह पढ़ाई आसानी से जारी रख अच्छे परिणाम दे सकेंगे। यह बच्चों के हित में लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय है।
बोर्ड का निर्देश सभी स्कूलों को प्राप्त
सेंट जोसेफ स्कूल के प्रधानचार्य फादर सीबी जोसफ का कहना है कि पाठ्यक्रम को कम करने संबंधी बोर्ड का निर्देश सभी स्कूलों को प्राप्त हो गया है। कक्षा-9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं को अब संशोधित पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाया जाएगा। बोर्ड के इस निर्णय से न सिर्फ बच्चों का बोझ कम हुआ है बल्कि समय से पाठ्यक्रम पूरा करने में भी मदद मिलेगी।