परिषदीय स्कूलों के बच्चों को अब नहीं मिलेगी यूनीफार्म, अभिभावकों के खाते में जाएगी धनराशि
जब से यूनिफार्म वितरण की व्यवस्था शुरू हुई है तभी से इसमें गड़बड़ी को लेकर उंगलियां उठने लगी थी। कभी खराब गुणवत्ता तो कभी कमीशनबाजी को लेकर मामला सामने आता रहता था। शासन ने अब अभिभावकों के खाते में यूनिफार्म की धनराशि सीधे भेजने का फैसला लिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनीफार्म बनवाकर देने से प्रधानाध्यापकों को अब राहत मिल गई है। इस सत्र से यूनीफार्म ही नहीं जूता-मोजा, बैग सभी के पैसे अभिभावकों के खाते में सीधे स्थानांतरित किए जाएंगे। शासन स्तर पर इसकी तैयारी चल रही है। इस योजना से जनपद के साढ़े तीन लाख बच्चे लाभान्वित होंगे।
बच्चों के माता-पिता के खातों का होगा सत्यापन
शासन ने जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को प्रेरणा पोर्टल पर उपलब्ध छात्र-छात्राओं के माता-पिता के शैक्षिक सत्र-2021-22 के प्रामाणिक डाटा का डीबीटी माड्यूल के माध्यम से सभी खातों का सत्यापन के लिए प्रशिक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अंतर्गत प्रेरणा पोर्टल पर उपलब्ध विद्यार्थियों के अभिभावकों के बैंक खातों का सत्यापन करने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय में गठित पीएफएमएस सेल 12 जून को वर्चुअल प्रशिक्षण देगी। जिसमें जिले के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी या प्रभारी के साथ जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता भी शामिल होंगे। इसका ङ्क्षलक सेल द्वारा एक दिन पहले जारी किया जाएगा।
पारदर्शी व्यवस्था के लिए उठाया जा रहा कदम
जब से यूनिफार्म वितरण की व्यवस्था शुरू हुई है तभी से इसमें गड़बड़ी को लेकर उंगलियां उठने लगी थी। कभी खराब गुणवत्ता तो कभी कमीशनबाजी को लेकर मामला सामने आता रहता था। इसको पारदर्शी बनाने के लिए शासन ने अब विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में यूनिफार्म की धनराशि सीधे भेजने का फैसला लिया है। बीएसए बीएन सिंह का कहना है कि योजना को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से शासन ने ब'चों के अभिभावकों के खाते में इस सत्र से धनराशि प्रेषित करने का निर्णय लिया है। विभागीय तैयारी शुरू कर दी गई है।
बता दें कि परिषदीय स्कूलों के बच्चों को स्कूल ड्रेस के लिए शिक्षकों को काफी परेशानी होती थी, उन्हें हर साइज का यूनिफार्म वितरित करने में ही सबसे ज्यादा कठिनाई होती थी। अब सरकार की पहल से इस जिम्मेदारियों से उन्हें छुटकारा मिल गया है। अब खुद बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों का यूनिफार्म खुद सिलवाएंगे। बच्चों के जूते-मोजे भी अभिभावक खरीदेंगे। इसलिए साइज को लेकर अब किसी तरह की कोई परेशानी होगी।