ऑनलाइन पढ़ाई से चिड़चिड़े हो रहे बच्चे Gorakhpur News

लंबे समय से घर में कैद बच्चों को यह पढ़ाई छुट्टी में खलल लग रही। इस द्वंद्वात्मक मनस्थिति की वजह से वे चिड़चिड़ेपन का शिकार होते जा रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:34 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:34 PM (IST)
ऑनलाइन पढ़ाई से चिड़चिड़े हो रहे बच्चे Gorakhpur News
ऑनलाइन पढ़ाई से चिड़चिड़े हो रहे बच्चे Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की वजह से बढ़ा ऑनलाइन पढ़ाई का चलन छोटे बच्चों को रास नहीं रहा। महामारी की गंभीरता से अनभिज्ञ ये बच्चे इसे लेकर द्वंद्व में हैं कि जब स्कूल खुल ही नहीं रहे तो पढ़ाई क्यों। लंबे समय से घर में कैद बच्चों को यह पढ़ाई छुट्टी में खलल लग रही। इस द्वंद्वात्मक मन:स्थिति की वजह से वे चिड़चिड़ेपन का शिकार होते जा रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों से बातचीत और इस पर उनके अभिभावकों की प्रतिक्रिया में यह बात सामने आई है।

ऐसे बोल रहे बच्‍चे

सुबह उठने के साथ ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल में आंख टिकाकर बैठ जाने वाली दाउदपुर की प्रथा उस दौरान कोई भी काम कहने पर अपनी आपा खो देती हैं। गुस्से की वजह पूछने पर प्रथा का दो-टूक जवाब है, छुट्टी में भी कोई पढ़ता है। कक्षा छह में पढऩे वाला स्पर्श तो कई बार विद्रोह के मूड में आ जा रहा। उसका कहना है कि घर को घर की तरह रहने दिया जाए, उसे स्कूल बनाया जाना हम बच्चों के लिए प्रताडऩा है। लेबर कॉलोनी मोहद्दीपुर में रहने वाली कक्षा चार की छात्रा आराध्या का कहना है कि हम तो स्कूल में ही पढ़ेंगे। स्कूल में दोस्तों के साथ पढऩे का मजा ही कुछ और है। इलाहीबाग की फातिमा, बक्शीपुर के सार्थक श्रीवास्तव, हजारीपुर के शिवम पांडेय के अभिभावकों का कहना है कि पहले उनके बच्चे बहुत हंसमुख थे लेकिन जबसे घर में ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ रही, बात-बात पर गुस्सा करने लगे हैं।

क्‍या कहते हैं परिजन

अभिभावक नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि मेरे बेटे का कहना है कि घर में होमवर्क किया जाता है कि पूरी पढ़ाई। कई बार वह इस जिद पर आ जाता है कि जब स्कूल खुलेगा तभी पढ़ाई करूंगा। समझा-बुझा कर पढ़ाना पड़ता है। हिमांशु का कहना है कि मेरी बेटी ने शुरू में तो ऑनलाइन पढ़ाई को खेल-खेल में लिया लेकिन जब बोझ बढऩे लगा तो उसे छुट्टी में इस तरह से पढऩा खराब लगने लगा। अब वह बात-बात में लड़ बैठती है।

मनोवैज्ञानिक ने दी सलाह

मनोवैज्ञानिक प्रो. अनुभूति दुबे का कहना है कि स्कूली पढ़ाई में बच्चों को उनकी मन:स्थिति के मुताबिक पढ़ाया जाता है जबकि ऑनलाइन में यह पार्ट गुम है। स्कूल और घर के बीच की बाउंड्री टूटी है। हम बड़े और अनुभवी हैं तो इस बात को समझ रहे हैं लेकिन बच्चों को अभी उस बदलाव को आत्मसात करने में वक्त लगेगा। संक्रमण के इस दौर में अभिभावकों को उनकी भावनाओं से जुडऩा होगा। ऑनलाइन मोड में उनके पूरी तरह ढलने तक पूरी संजीदगी दिखानी होगी।

ऑनलाइन पढ़ाई का फिलहाल कोई विकल्प नहीं

स्कूल एसोसिएशन के अध्‍यक्ष अजय शाही का कहना है कि कोरोना संक्रमण के काल में ऑनलाइन पढ़ाई का फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। अब हमें प्रयास यह करना है कि पढ़ाई के इस बदले मोड को मनोरंजक बनाएं ताकि बच्चों को वह बोझिल न लगे। ऐसा हम एक्टिविटी क्लासेज के जरिए कर सकते हैं। इस पढ़ाई में अभिभावकों की भूमिका भी बढ़ गई है, उन्हें शिक्षक की भूमिका भी निभानी होगी। बच्चों के साथ पढ़ाई के दौरान बने रहना होगा।

chat bot
आपका साथी