आपकी त्‍वचा खराब कर देंगे सस्‍ते सैनिटाइजर, कम करें इस्तेमाल Gorakhpur News

कोरोना संक्रमण के बीच चर्म रोगियों की बढ़ती तादाद ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। बाजार में धुआंधार बिक रहे सस्‍ते सैनिटाइजर से लोगों की त्‍वचा सफेद व रूखी हो जा रही है। खुजली हो रही और लाल चकत्ते भी पड़ रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 12:41 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 12:41 PM (IST)
आपकी त्‍वचा खराब कर देंगे सस्‍ते सैनिटाइजर, कम करें इस्तेमाल Gorakhpur News
सस्‍ते सैनिटाइजर लोगों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। - प्रतीकात्‍मत तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। केस एक : नखास के राजाराम की उंगुलियों के ऊपरी सतह पर छोटे-छोटे दाने निकल आए हैं। सामान्यतया ये दिखते नहीं हैं। लेकिन जब पानी पड़ जाता है तो ये दानें साफ नजर आने लगते हैं। त्वचा का रंग बदल जाता है। शुरुआत में कोई समस्या नहीं थी। 15 दिन बाद इनमें खुजली होने लगी और दानें हथेली के ऊपरी हिस्से पर पूरी तरह फैल गए हैं।

केस दो : मायाबाजार के विनय कुशवाहा के हाथों की ऊपरी त्वचा सूख गई है। अंदर की त्वचा में जगह-जगह चमड़ा छोड़ रहा है। हथेली खुरदरी हो गई है। उंगलियों के दोनों तरफ किनारे वाले हिस्से में लाल चकत्ते पड़ गए हैं। उनमें खुजली भी हो रही है। शुरुआत में एक-दो लाल दानें पड़ने पर उन्होंने नजरअंदाज किया था। जब दानें बढ़ने लगे तो जिला अस्पताल आए थे।

ये दो मामले बानगी भर हैं। ऐसे पांच से छह मरीज रोजाना जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बीच चर्म रोगियों की बढ़ती तादाद ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। बाजार में धुआंधार बिक रहे सस्‍ते सैनिटाइजर से लोगों की त्‍वचा सफेद व रूखी हो जा रही है। खुजली हो रही और लाल चकत्ते भी पड़ रहे हैं। जिला अस्‍पताल में ऐसे मरीजों की संख्‍या बढ़ गई है।

चिकित्‍सकों का कहना है कि संक्रमण की शुरुआत में उच्‍च गुणवत्‍ता वाले आइसो प्रोपाइल एल्कोहल युक्‍त सैनिटाइजर ही बिक रहे थे। उस समय 500-700 रुपये वाले यह सैनिटाइजर महंगे होने के बावजूद तत्‍काल बिक गए। इसके बाद कालाबाजारी शुरू होते ही इस पर लगाम के लिए शासन ने सैनिटाइजर का अधिकतम मूल्‍य 250 रुपये में आधा लीटर तय कर दिया। मुनाफा कम होने पर ब्रांडेंड कंपनियों ने सैनिटाइजर बनाने से हाथ खींच लिए तो स्‍थानीय स्‍तर पर कई कंपनियों ने इसे बनाना शुरू कर दिया। कई ऐसे लोग भी सैनिटाइजर बनाने लगे जिन्‍हें इसका कोई अनुभव ही नहीं है। मानकों और गुणवत्‍ता का ख्‍याल न रखने वाले सैनिटाइजर ही त्‍वचा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मरीजों से डॉक्टरों द्वारा पूछने पर पता चला कि सैनिटाइजर का इस्तेमाल इन लोगों ने ज्यादा किया।

आइसो प्रोपाइल वाले सैनिटाइजर का भी ज्यादा उपयोग नुकसानदेह होता है। किसी भी तरह का सैनिटाइजर हो, ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक है। इससे खुश्की, खुजली, बर्न आदि की समस्या हो सकती है। इस तरह के मरीजों की संख्या अब बढ़ रही है। एक माह पहले जहां एक-दो मरीज आते थे। अब रोज पांच-छह मरीज आ रहे हैं। - डाॅ. नवीन वर्मा, चर्म रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल

मेडिकल कॉलेज में अभी चर्म रोग की ओपीडी नहीं चल रही है। लेकिन ऐसे मरीज रोज दो-चार मेरे पास आ जाते है। जिनकी त्वचा पर सैनिटाइजर के दुष्प्रभाव हैं। घर में इसका उपयोग न करें। साबुन-पानी से हाथ धोना ज्यादा श्रेयष्कर है। घर के बाहर हों तभी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें, वह भी केवल दो-तीन बार। - डॉ. संतोष सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, चर्म रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

कोरोना को देखते हुए सरकार ने जबसे सैनिटाइजर का मूल्य नियंत्रित करने के लिए इसे ड्रग प्राइज कंट्रोल आर्डर (डीपीसीओ) में डाल दिया है। ज्यादातर कंपनियों ने आइसो प्रोपाइल की जगह सस्ता होने के नाते इथाइल एल्कोहल का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। यह कम गुणवत्ता का होता है। इस समय सस्ता होने के नाते यही सैनिटाइजर बिक रहा है। - राजर्षि बंसल, सर्जिकल सामान के थोक व्यापारी

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