सिद्धार्थ विवि में बोली कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल, बच्चे ही नहीं बड़े भी डालें पढ़ने की आदत

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के पांचवें दीक्षा समारोह में पांच दिसंबर को कुलाधिपति आनंदी बेन ने कहा कि मैं एक विशेष अनुभूति कर रही हूं। भगवान गौतम बुद्ध की स्मृति कण-कण में समाहित है। पवित्र भूमि पर विवि. स्थापित होने के लिए बुद्ध को प्रणाम करती हूं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 12:39 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:36 PM (IST)
सिद्धार्थ विवि में बोली कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल, बच्चे ही नहीं बड़े भी डालें पढ़ने की आदत
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह को संबोधित करती कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ।जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के पांचवें दीक्षा समारोह में पांच दिसंबर को कुलाधिपति आनंदी बेन ने कहा कि मैं एक विशेष अनुभूति कर रही हूं। भगवान गौतम बुद्ध की स्मृति कण-कण में समाहित है। पवित्र भूमि पर विवि. स्थापित होने के लिए बुद्ध को प्रणाम करती हूं। जिन्हें पदक मिला है, वह अच्छा इंसान बनकर अच्छा जीवन निर्वहन करें। अपने देश और समाज का नाम रोशन करें। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के तहत यहां पढ़ाई शुरू हो चुकी है। शोधकर्ताओं के लिए भी प्रक्रिया शुरू हो गई है। स्कूलों में लाइब्ररी बनें। पढ़ने की आदत चली गई है। बड़ों में ही नहीं छोटों में भी यह दिक्कत है। बदलाव लाना होगा। सबको किताबों से जुड़ना होगा। जिन छोटे बच्चों को यहां किताबें दी हूं। वह उसे पढ़ें और अभिभावकों को भी पढ़ाएं।

जीवन के मूल्‍यों को देना होगा महत्‍व

शांति, समता, त्याग, करुणा, उदारता आदि कई मूल्य हैं, जो हमारे बीच में हैं। इन्हें ही हमें महत्व देना है। उपाधि से कुछ पाने के लिए बड़ा महत्व यह है कि देश और दुनियां समाज को आप क्या देंगे। मन मस्तिष्क में रहेगा तो कुछ अनुचित नहीं कर पाएंगे। अपने सामर्थ्य के जरिये आप सही रास्ता चुनेंगे। हमारे देश में अनपढ़ कभी स्कूल में नहीं गए। कोई उपाधि नहीं प्राप्त किया। फिर भी पद्मश्री के अधिकारी बनें। यह श्रेय उनके कर्म का नतीजा था। ऐसे लोगों की एक किताब तैयार करें। जिससे बच्चे उनसे प्रेरणा ले सकें।

कुलाधिपति ने सुनाई राही बाई पोखले की कहानी

महाराष्ट्र की राही बाई पोखले अपने पिता के साथ खेती का काम करती थी। गांव में बच्चे काफी कुपोषित थे। उन्हें रासायनिक खाद के प्रयोग के चलते ऐसा लगा तो 154 प्रकार के आर्गेनिक खाद बनाए और पद्मश्री प्राप्त किया। एक गांव में कोई भी बच्चा कुपोषित न रहे इसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को उठानी होगी। फल की बिक्री करने वाले ऐसे शख्सियत के बारे में भी कुलाधिपति ने बताया। जिसने अपने गांव में अंग्रेजी स्कूल खोला। यदि हम चार साल गांव में बच्चों की शिक्षा पर ध्यान रखेंगे, तो स्कूल के बच्चे आगे निकल जाएंगे। यही आसपास के बच्चे यहां दाखिला लेकर उच्चशिक्षा प्राप्त करेंगे। आदर्श नागरिक बनाना सभी अभिभावक का कर्तव्य है।

बेटियों को पढाई के लिए प्रेरित करें

तीन दिनों में मैनें यहां देखा है। बेटियों की पढाई के लिए लोगों को प्रेरित किया। यदि महिलाओं की शक्ति और आत्मविश्वास देश के विकास में काम नहीं आएगा तो देश आगे नहीं बढ़ सकता है। नई शिक्षा नीति में 6वीं कक्षा से हुनर सीखना है। इसके पीछे सोच यही है कि सबको रोजगार मिले। सबको नौकरी नहीं मिल सकती। प्रदूषण को लेकर चिंतित युवा पीढ़ी के सोच पर भी कुलाधिपति ने ध्यान आकृष्ट कराया।

33 छात्रों को दिया गोल्‍ड मेडल

संबोधन से पहले आनंदी बेन पटेल ने सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 33 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. हरिबहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि 33 शिक्षक और 900 छात्रों की संख्या इस नवीन विवि में हो चुका है। एनसीसी के माध्यम से देश प्रेम और स्वास्थ्य। खेल में टूर्नामेंट शुरू किए जा रहे हैं। आगामी सत्र में विज्ञान की ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कक्षाएँ शुरू हो जाएंगी। बीए आनर्स और सेल्फ फाइनेस के तहत कोर्स चलाए जाएंगे। परीक्षा फल पहले घोषित करने का श्रेय इस बार भी हमें मिला है। इस अवसर पर विवि के स्मारिका का विमोचन कुलाधिपति और कुलपति ने किया। इसके बाद कुलपति ने दीक्षोपदेश दिया। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे, पूर्व कुलपति प्रो. रजनीकांत पांडेय, प्रो. चित्तरंजन मिश्र, सांसद जगदम्बिका पाल, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, सदर विधायक श्याम धनी राही, विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।

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