लटके हुए मामले को एक दिन में किया निस्तारित, व्यापारी के बचा दिए लाखों रुपये
इंडस्ट्रियल एरिया के पास बोरा बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए लिए मानचित्र पास कराने के लिए एक साल से दौड़ रहे उद्यमी भोला जायसवाल का मामला एक दिन में निस्तारित कर दिया गया। जीडीए उपाध्यक्ष एवं सचिव ने उद्यमी के साथ बैठकर प्रपत्रों का अध्ययन किया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : मानचित्र पास कराने के लिए एक साल से दौड़ रहे उद्यमी भोला जायसवाल का मामला नवागत जीडीए उपाध्यक्ष ने एक ही दिन में निस्तारित कर दिया। इंडस्ट्रियल एरिया के पास बोरा बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए लिए मानचित्र पास कराने के लिए उद्यमी लंबे समय से दौड़ रहे थे। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह एवं सचिव राम सिंह गौतम ने उद्यमी के साथ बैठकर उनके दावों के आधार पर प्रपत्रों का अध्ययन किया। इसमें उनका दावा सही पाया गया। उद्यमी को 32 लाख की जगह आठ लाख रुपये जमा कराने होंगे।
मानचित्र के लिए वाणिज्यिक दर पर 32 लाख रुपये जमा करने काे कहा गया
इंडस्ट्रियल एरिया के पास उद्यमी भोला जायसवाल की ओर से बोरा बनाने की फैक्ट्री स्थापित की जानी है। मानचित्र दाखिल करने पर उनसे करीब वाणिज्यिक दर पर 32 लाख रुपये जमा करने को कहा गया, पर भोला जायसवाल का दावा था कि शासनादेश के मुताबिक फैक्ट्री के लिए औद्योगिक दर पर शुल्क लगना चाहिए। उनकी समस्या को लेकर पिछले साल लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष दीपक कारीवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज की ओर से भी इस मामले को लगातार उठाया गया था। हाल ही में चैंबर की ओर से मंडलायुक्त रवि कुमार एनजी के साथ बातचीत में भी इस मामले को उठाया गया। इसके बाद उन्होंने जीडीए उपाध्यक्ष को मामला निस्तारित करने को कहा।
उद्यमियों से जुड़े मामलों का होगा त्वरित निस्तारण
जीडीए उपाध्यक्ष ने उद्यमियों के संगठनों से अपील की है कि भोला जायसवाल की तरह और भी उद्यमियों के मामले यदि प्राधिकरण से जुड़े हों तो उनकी संज्ञान में लाया जाए। वे प्राथमिकता पर उसका निस्तारण कराएंगे। किसी भी मामले को लंबित नहीं रहने दिया जाएगा।
भोला का मानचित्र औद्योगिक दर पर करना चाहिए था स्वीकृत
जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह ने कहा कि भोला जायसवाल का मानचित्र औद्योगिक दर पर स्वीकृत करना चाहिए था। एक दिन में सभी प्रपत्रों को देखने के बाद उद्यमी का दावा सही मिला और मामले को निस्तारित कर दिया गया। उन्हें 32 लाख की बजाय आठ फीसद ही जमा करने होंगे। इस तरह के और भी मामले हों तो उद्यमी सीधे मुझसे मिल सकते हैं।