चौपाल में सीडीओ के सामने उठा शौचालय निर्माण में गबन का मामला, जांच का आदेश

सीडीओ ने भटहट इलाके के करमहा बुजुर्ग गांव में चौपाल लगाई थी। इसमेंं गांव के ही एक व्‍यक्ति ने शौचालय के निर्माण में घोटाला होने की लिखित शिकायत की। इस पर सीडीओ ने ज्‍वाइंट मजिस्‍ट्रेट को मामले की जांच का आदेश दिया है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 11:05 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 11:05 AM (IST)
चौपाल में सीडीओ के सामने उठा शौचालय निर्माण में गबन का मामला, जांच का आदेश
चौपाल में सीडीओ के सामने उठा शौचालय निर्माण में गबन का मामला। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भटहट क्षेत्र के ग्राम पंचायत करमहां बुजुर्ग में आयोजित चौपाल में शौचालय के नाम पर धनराशि का गबन करने का मामला उठाया गया। जांच की मांग होने पर मुख्य विकास अधिकारी इंद्रजीत सिंह ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर कुलदीप मीणा को जांच करने का निर्देश दिया है।

गांव के व्‍यक्ति ने प्रार्थना पत्र देकर की शिकायत

गांव के ही अच्‍छेलाल गुप्ता ने सीडीओ को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि गांव में शौचालय के नाम पर फर्जी भुगतान किया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए। सीडीओ को बताया गया कि ग्राम निधि छह के खाते से 13 नवंबर 2019 से दो फरवरी 2020 के बीच करीब 11 लाख 68 हजार रुपये निकाले गए। इनमें से 112 चेक का प्रयोग किया गया। 12-12 हजार रुपये के 83 चेक, छह-छह हजार रुपये के 28 चेक एवं चार हजार रुपये का एक चेक प्रयोग किया गया।

बैंक से दूसरा चेकबुक जारी कराकर निकाली गई धनराशि

इस मामले की जांच पंचायती राज विभाग की ओर से की गई थी। तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव का कहना था कि उनके पास ग्राम निधि छह का एक चेक बुक (इंडियन बैंक) था। उसमें 52 चेक शेष थे। इसके बावजूद फर्जीवाड़ा कर बैंक से दूसरा चेकबुक जारी कर धनराशि निकाल ली गई। उस समय जांच के दौरान दो चेकबुक से फर्जी भुगतान की बात सामने आयी थी।

बैंक कर्मियों पर भी उठे सवाल

वर्ष 2015-16 में चुने गए ग्राम प्रधानों के वित्तीय अधिकार पर 25 दिसंबर 2020 की रात से रोक लगा दी गई थी। उनके हस्ताक्षर से जारी होने वाले चेक से भुगतान की मनाही थी। बियरर चेक के माध्यम से ग्राम निधि छह के खाते से निकासी पर रोक थी इसके बावजूद इस अवधि के बाद चेक के माध्यम से पैसा निकाल लिया गया। भटहट की बीडीओ कृतिका अवस्थी ने बताया कि शौचालय की धनराशि के गबन के आरोप में ब्लाक से मांगी गई रिपोर्ट भेज दी गई थी। इसकी जांच जिले स्तर से ही होनी थी।

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