रामगढ़ताल की 150 एकड़ भूमि का मामला कोर्ट में, जानें-क्या करेगा जीडीए Gorakhpur News
न्यायालयों में याचिकाओं के लंबित रहने तक इस जमीन का स्वामित्व जीडीए के पास होगा। छह अप्रैल को जारी यह आदेश जीडीए में आ गया है। इस जमीन पर स्वामित्व के लिए दोनों फर्मों की ओर से न्यायालय में लड़ाई लड़ी जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ताल क्षेत्र के पास स्थित 150 एकड़ जमीन का स्वामित्व गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के पास रहने देने के संबंध में जारी आदेश को मेसर्स जालान कांप्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड एवं भव्या कालोनाइजर्स की ओर से मनमाना बताया गया है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जब अभी तक उन्हें स्वामित्व नहीं मिला तो फिर वापस कैसे लिया जाएगा। दोनों फर्मों के प्रमुखों ने कहा कि उनका मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है और न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा है। जालान कांप्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड को 100 एकड़ जबकि भव्या कालोनाइजर्स को 50 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी।
वन विभाग को मिलेगी भूमि पर निर्माण पर रहेगी रोक
प्रमुख सचिव आवास की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि रामगढ़ताल के पास स्थित 150 एकड़ जमीन की प्रकृति को सुरक्षित एवं अनुरक्षित रखने के लिए वन भूमि, वेटलैंड एवं वाटर रिजर्व के रूप में अनुरक्षण करने के लिए वन विभाग को दिया जाएगा लेकिन जमीन का स्वामित्व हस्तांतरित नहीं किया जाएगा। इस पर किसी प्रकार का कोई निर्माण नहीं किया जा सकेगा। न्यायालयों में याचिकाओं के लंबित रहने तक इस जमीन का स्वामित्व जीडीए के पास होगा। छह अप्रैल को जारी यह आदेश जीडीए में आ गया है। इस जमीन पर स्वामित्व के लिए दोनों फर्मों की ओर से न्यायालय में लड़ाई लड़ी जा रही है।
21 साल तक नजर नहीं आया वेटलैंड
जालान कांप्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड के ओम प्रकाश जालान ने कहा कि हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी जमीन की रजिस्ट्री नहीं की गई। अब कहा जा रहा है कि जमीन वापस ली जाएगी। 1997 से लेकर 2018 तक वेटलैंड नहीं नजर आया, अब इसे वेटलैंड कहा जा रहा है। यदि पक्ष गलत होता तो अब तक प्राधिकरण जमीन छीन चुका होता। सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद तरह-तरह का अड़ंगा लगाकर जमीन रोकी जा रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा विश्वास है, आज नहीं तो कल जमीन मिलेगी।
भव्या कालोनाइजर्स के अनिल त्रिपाठी ने कहा कि यह जो भी किया जा रहा है अवैधानिक है। हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया, जीडीए में पूरी धनराशि जमा कर दी गई है लेकिन रजिस्ट्री नहीं की गई है। हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि यह आवासीय भूमि है लेकिन अब इसे वेटलैंड बताया जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। कारोना के कारण सुनवाई नहीं हो पा रही। उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है, जमीन जरूर मिलेगी।