जानें, किस सीमा तक कर सकते हैं अपनी कार-बाइक का मॉडीफिकेशन Gorakhpur News
वाहन के शौकीनों में किसी को चौड़े टायर पसंद हैं तो कोई एक्जॉस्ट में बदलाव कराकर प्रेशर हॉर्न लगवाकर अलग लुक देता है। लेकिन अब वाहनों में बदलाव करना महंगा पड़ सकता है। जानें कैसे-
गोरखपुर, जेएनएन। बाइक और कार के शौकीन लोगों को अपनी गाड़ी अलग अंदाज में रखना खूब भाता है। किसी को चौड़े टायर पसंद हैं तो कोई एक्जॉस्ट में बदलाव कराकर, प्रेशर हॉर्न लगवाकर अपनी गाड़ी को अलग लुक देना भाता है। गोरखपुर में भी ऐसी गाडिय़ां खूब हैं, जिनके मूल मॉडल में बदलाव कर अलग ढंग से तैयार किया गया है। लेकिन, बगैर औपचारिक अनुमति के ऐसा करना नियम विरुद्ध है।
दो फीसद से ज्यादा नहीं कर सकते मॉडिफिकेशन
प्राय: सड़कों पर तेज आवाज के साथ फर्राटा भरते बाइक सवार दिखते हैं। जबकि नियमानुसार वाहनों के हॉर्न की सीमा 82 डेसिबल तक हो सकती है। इन दिनों जारी वाहनों की चेकिंग अभियान में पुलिस इस बात पर भी खास फोकस कर रही है। मॉडिफिकेशन के बाद अगर गाड़ी के वजन में दो फीसद से ज्यादा का बदलाव आता है तो उसे जब्त किया जा सकता है। इंजन की पावर को बदला नहीं जा सकता। इंजन की पावर बढऩे पर इसकी चेसिस पर ज्यादा जोर पड़ेगा और दुर्घटना का खतरा बना रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया है फैसला
बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि पंजीकरण के लिए वाहन का निर्माता द्वारा दिए गए मूल स्पेसिफिकेशन को पूरा करना जरूरी है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 52 (1) के तहत यह अनिवार्य है। हालांकि पेंटिंग या फिटमेंट में मामूली बदलाव की वजह से कोई गाड़ी पंजीकरण के लिए अयोग्य नहीं होगी, लेकिन बॉडी या चेसिस के ढंाचे में कोई बदलाव हुआ है, तो उसका पंजीयन नहीं हो सकता। यही नहीं अगर पुराने वाहन के इंजन को उसी कंपनी और उतनी ही क्षमता के नए इंजन से बदलना है, तो इसके लिए भी पहले पंजीकरण अथॉरिटी से अनुमति लेनी होगी। हालांकि, सीएनजी किट लगवाया जाना संरचनात्मक परिवर्तन के रूप में नहीं गिना जाएगा।
बगैर अनुमति के वाहन मॉडीफाई करना और कराना, अवैधानिक है। हम ऐसी गाडिय़ों पर खास निगाह रख रहे हैं। पकड़े जाने पर नियमानुसार कार्रवाई तय है। - डीडी मिश्रा, आरटीओ (प्रवर्तन), गोरखपुर।