Coronavirus in Gorakhpur: करें कपालभाति प्राणायाम, फेफड़े को मिलेगी ताकत बढ़ेगी प्रतिरोधक क्षमता Gorakhpur News

सुबह नित्यकर्म ने निवृत्त होकर किसी आरामदायक आसान में बैठें। ज्ञानमुद्रा (अंगूठे व तर्जनी उंगली के सिरे को मिलाकर) में रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठें। श्वांस को शक्ति लगाकर नाक से बाहर फेंकें थोड़ी सी श्वांस अपने आप अंदर आएगी उसे पुन झटके से बाहर फेकें।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 03:51 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 03:51 PM (IST)
Coronavirus in Gorakhpur: करें कपालभाति प्राणायाम, फेफड़े को मिलेगी ताकत बढ़ेगी प्रतिरोधक क्षमता Gorakhpur News
कपालभाति प्राणायम का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, सौ. इंटरमीडिया।

गोरखपुर, जेएनएन। कपालभाति प्राणायाम को संजीवनी कहा जाता है। इसके अभ्यास से जीवनी शक्ति ऊध्र्वमुखी होती है। यह कोरोना के उपचार एवं बचाव, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है। महिला पतंजलि योग समिति की प्रभारी ममता श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभ्यास से त्रिदोष सम होते हैं। कफ, दमा, श्वांस, एलर्जी, साइनस के रोग दूर होते हैं। हृदय की धमनियों,आमाशय, पैंक्रियाज, लीवर, प्लीहा व आंतों को आरोग्य मिलता है। अवसाद, भावनात्मक असंतुलन, घबराहट, नकारात्मकता एवं भय का भाव समाप्त होता है।

कैसे करें प्राणायम

सुबह नित्यकर्म ने निवृत्त होकर किसी आरामदायक आसान में बैठें। आसन में न बैठ सकें तो कुर्सी पर बैठें। ज्ञानमुद्रा (अंगूठे व तर्जनी उंगली के सिरे को मिलाकर) में रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठें। श्वांस को शक्ति लगाकर नाक से बाहर फेंकें, थोड़ी सी श्वांस अपने आप अंदर आएगी उसे पुन: झटके से बाहर फेकें। सारा प्रयास सांस को बाहर फेंकने का हो, प्राण वायु को अंदर खींचने का प्रयास न करें। हर बार स्वत: अंदर आने वाली वायु को  झटके से बाहर फेकें। इसके साथ उदर क्षेत्र के स्वाभाविक आकुंचन - प्रसारण (पेट का अंदर-बाहर होना) की क्रिया होती है। यह हर सेकेंड में एक बार करें। आपरेशन आदि की स्थिति में तीन से छह माह तक न करें या परामर्श लेना सर्वोत्तम होता है। गर्भावस्था, अल्सर, आंतरिक रक्तस्राव एवं मासिक धर्म, बुखार के समय यह अभ्यास न करें। बहुत कमजोरी होने पर इसे धीरे करें। दो सेकेंड में एक हल्के झटके साथ श्वांस बाहर फेंकें।

प्रत्‍येक सांस करें संकल्‍प

अभ्यास के दौरान शुभ इच्‍छाशक्ति के साथ यह संकल्प करें कि प्रत्येक बार श्वांस फेंकने के साथ मेरे मन, शरीर के विकार, रोग, दर्द, काम, क्रोध सब बाहर निकल रहे हैं। अभ्यास करते हुए जब थक जाएं। रुक कर दो- तीन गहरी श्वांस भरें और पुन: शुरू करें। इस प्रकार कुछ दिनों में 15 मिनट तक लगातार अभ्यास की क्षमता बढ़ाए।

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