बटन वाला मोबाइल, कइसे लगवाईं टीका..कोविन पोर्टल पर पंजीकरण न करा पाने से परेशान हैं बुजुर्ग

लाखों लोग मोबाइल फोन या आनलाइन पंजीकरण कराने की शर्त के कारण चाहकर भी कोरोना से बचाव का टीका नहीं लगवा पा रहे हैं। कोई पड़ोसी से गुहार लगा रहा है तो कोई अस्पताल जाकर कर्मचारियों की जी-हुजूरी कर रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 01:05 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:34 PM (IST)
बटन वाला मोबाइल, कइसे लगवाईं टीका..कोविन पोर्टल पर पंजीकरण न करा पाने से परेशान हैं बुजुर्ग
कोविन पोर्टल पर पंजीकरण कराने में लोगों को काफी समस्‍या हो रही है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। बाबू, हमहूं कोरोना से बचावे वाला टीका लगवावल चाहत बाटीं लेकिन लोग कहते बाटें कि पहले मोबाइल फोन पर नाम, पता देवे के पड़ी। एकरे बाद ही टीका लग पायी। हमरे पास मोबाइल नाही बा, एक-दू लोगन से चिरौरी कइलीं लेकिन केहू मदद नाही कइलस, अब हमके कइसे टीका लगी।

गांवों में बुरा है हाल, महिलाएं भी नहीं लगवा पा रहीं टीका

यह दर्द उरुवां ब्लाक के कुरावल गांव की 65 वर्षीय फेकना का है। फेकना की तरह लाखों लोग मोबाइल फोन या आनलाइन पंजीकरण कराने की शर्त के कारण चाहकर भी कोरोना से बचाव का टीका नहीं लगवा पा रहे हैं। कोई पड़ोसी से गुहार लगा रहा है तो कोई अस्पताल जाकर कर्मचारियों की जी-हुजूरी कर रहा है। कुछ लोग दया कर पंजीकरण में सहयोग भी करना चाहते हैं लेकिन नियम इस तरह है कि यदि मोबाइल नंबर से पंजीकरण कर भी दिया तो बुजुर्ग बूथ पर पहुंचकर कैसे बताएंगे कि किस नंबर से पंजीकरण हुआ है। यदि लिखकर दिया और कागज गायब हो गया तो बेचारे परेशान होकर भटकते रह जाएंगे।

ऐसे कराया जा सकता है पंजीकरण

आरोग्य सेतु एप या कोविन पोर्टल पर पहले मोबाइल नंबर फीड करना होता है। इसके बाद नंबर पर ओटीपी आती है। तीन मिनट के अंदर इस ओटीपी को दर्ज करना होता है। फिर पहचान पत्र के बारे में जानकारी देनी होती है। यदि आप आधारकार्ड का आब्शन देते हैं तो उसका नंबर दर्ज करना होगा। फिर टीका लगवाने के इच्छुक व्यक्ति का नाम, लिंग और जन्म का वर्ष दर्ज करना होता है। इसके अपने नजदीकी बूथ पर टीकाकरण के लिए क्षेत्र का पिन नंबर दर्ज करना होता है।

यदि संबंधित तिथि को नजदीक के बूथ पर स्लाट खाली नहीं है तो पहले प्रदेश और फिर जिला का आब्शन दर्ज कर अन्य स्थानों पर उपलब्धता देखनी होती है। यदि मनचाहे स्थान पर पहले से बुकिंग फुल नहीं है तो इच्छित समय की जानकारी देने के बाद टीकाकरण के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद पंजीकरण की सूचना मोबाइल पर मैसेज के रूप में आती है। इस मैसेज में चार अंकों की ओटीपी होती है। इसे टीकाकरण के समय बताना होता है।

मजदूरी करने वाले भी परेशान

मजदूरी कर परिवार का जीवन-यापन करने वाले 18 से 44 वर्ष की आयु वर्ग वाले भी पंजीकरण के लिए परेशान हैं। इनमें से ज्यादातर के पास बटन वाला मोबाइल फोन है। कोरोना कफ्रर्यू के कारण यह सभी घर पर ही हैं। टीका लगवाना भी चाह रहे हैं लेकिन पंजीकरण के लिए एंड्रायड फोन की अनिवार्यता के कारण सुविधा से वंचित हैं।

नियम वापस पर दिक्कत बरकरार

प्रदेश सरकार ने 10 मई से 45 वर्ष की आयु से ज्यादा वालों को बूथ पर जाने से पहले पंजीकरण कराने की व्यवस्था लागू की थी। इससे पहले लोग बूथ पर पहुंचकर टीका लगवा सकते थे। दो दिन बाद शासन ने इस व्यवस्था को वापस ले लिया लेकिन केंद्रों पर पहले से पंजीकरण कराकर जाने वालों को ही टीका लग पा रहा है। जो लोग सीधे पहुंच रहे हैं उन्हें पंजीकरण कराकर आने के लिए कहा जा रहा है।

कोरोना से बचने का टीका लगवाना चाहता हूं लेकिन बटन वाला मोबाइल फोन है। कुछ लोगों से पंजीकरण करने के लिए कहा तो वह बहाना मार कर आगे बढ़ गए। कम से कम बुजुर्गों को सीधे टीका लगवाने की सुविधा मिलनी चाहिए। - परशुराम गौड़।

मेरे न तो पति हैं और न ही बेटा। कोरोना से रोजाना कई लोग मर रहे हैं। बहुत दिन से सुन रही हूं कि टीका लगवाने के बाद कोरोना नहीं होगा। लोगों से पूछी तो पता चला कि पहले मोबाइल फोन पर पंजीकरण कराना होगा। अब कहां से ले आऊं मोबाइल फोन। - फेकना।

मजदूरी कर परिवार पालता हूं। किसी तरह बटन वाला मोबाइल फोन ही इस्तेमाल कर पाता हूं। सोचा था कि पत्नी और खुद को टीका लगवा लूंगा लेकिन मोबाइल फोन पर पहले पंजीकरण की व्यवस्था से टीका नहीं लगवा पा रहा हूं। - कैलाश।

18 से 44 वर्ष आयु के लिए पहले पोर्टल पर पंजीकण फिर टीकाकरण अनिवार्य है। इससे ज्यादा आयु वर्ग वालों को पंजीकरण कराकर आने में वरीयता दी जा रही है। परेशानी से बचने के लिए लोग पंजीकरण कराकर ही आएं। जिन लोगों को मोबाइल फोन न रहने के कारण पंजीकण में दिक्कत हो रही है उनके लिए बाद में शासन के निर्देशों के अनुरूप टीकाकरण की व्यवस्था कराई जाएगी। - डा. एनके पांडेय, एडिशनल सीएमओ व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी।

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