सरकार को हर माह लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा रहे कारोबारी, जानिए कैसे

आनलाइन एप के जरिये ग्राहकों को मनचाहा खान-पान मुहैया कराने वाले अधिकांश कारोबारी हर माह लाखों का कारोबार तो कर रहे हैं लेकिन जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) नहीं चुका रहे। इसकी वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 04:24 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 04:24 PM (IST)
सरकार को हर माह लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा रहे कारोबारी, जानिए कैसे
कई कारोबारी नहीं चुका रहे जीएसटी। प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : आनलाइन एप के जरिये ग्राहकों को मनचाहा खान-पान मुहैया कराने वाले अधिकांश कारोबारी हर माह लाखों का कारोबार तो कर रहे हैं, लेकिन जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) नहीं चुका रहे। इसकी वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। कर चोरी करने वाले ऐसे होटल, रेस्टोरेंट संचालकों पर आनलाइन एप के जरिये सख्ती बढ़ने के बाद संबंधित विभाग भी कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है। वहीं, होटलों, रेस्टोरेंट और रेडी टू ईट सेवाएं देने वालों की चेन चलाने वाली डिलीवरी कंपनियों ने ऐसे कारोबारियों से अनभिज्ञता व्यक्त की है।

खानपान के कारोबार को जीएसटी के दायरे में लाने की घोषणा

केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में आनलाइन डिलीवरी एप के जरिये चल रहे खानपान के कारोबार को जीएसटी के दायरे में लाने की घोषणा हुई। पता चला था कि बहुत से होटल व रेस्टोरेंट जीएसटी की चोरी कर रहे थे। पड़ताल के दौरान पता चला कि यहां भी बड़े पैमाने पर ऐसा हो रहा है। एप के माध्यम से घर-घर खाने-पीने का सामान मुहैया कराने वाली दो कंपनियों का शहर के 200 से ज्यादा होटल, रेस्टोरेंट, स्वीट्स एवं बेकरी के साथ करार है। कुछ बड़े होटल व रेस्टोरेंट को छोड़ दें तो एप के जरिए मंगाए गए खाने-पीने के ज्यादातर सामानों के बिल पर जीएसटी नंबर नहीं है। इनमें कई ऐसे हैं, जो घर से ही खाने-पीने के सामान डिलीवरी करते हैं और रोजाना हजारों रुपये तक का सामान बेच रहे हैं।

कई ग्राहकों को बिल भी नहीं देते रेस्टाेरेंट संचालक

कई रेस्टोरेंट संचालक ग्राहकों को बिल भी नहीं देते, जो देते भी हैं उनमें ज्यादातर पर जीएसटी नंबर नहीं होता। आनलाइन एप के जरिये डिलीवरी करने वाली कंपनी से करार करने वाले रेस्टोरेंट संचालक ने बताया कि कंपनियों ने कभी जीएसटी नंबर की मांग नहीं की, इसलिए सिर्फ खाद्य विभाग में ही उनका पंजीकरण है। कंपनियों का सारा ध्यान अपने कमीशन पर रहता है। पहले वह हर आर्डर पर 15 फीसद लेती थी, जिसे बढ़ाकर 25 फीसद कर दिया गया है। कंपनी के प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गोरखपुर में सौ से ज्यादा रेस्टोंरेंटों से करार है और अधिकांश के पास जीएसटी में रजिस्ट्रेशन है। कुछ नए आउटलेट को इसलिए छूट दी गई है क्योंकि पता नहीं है कि उनका कारोबार कितना होगा।

आनलाइन फूड डिलेवरी में नहीं आया कर चोरी का मामला

एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1 वाणिज्यकर बाबूलाल ने कहा कि आनलाइन फूड डिलेवरी में कर चोरी का मामला सामने नहीं आया है। विभाग इस मामले की पड़ताल करेगा। अगर कर चोरी का मामला सामने आया तो संबंधित फर्म के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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