Deputy CM Said: नकलविहीन बोर्ड परीक्षा भाजपा सरकार की देन

उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि कुछ जिले तो ऐसे थे जहां दूसरे की जगह बैठकर कोई अन्य व्यक्ति परीक्षा देता था। नकल यहां उद्योग बन गया था। सत्ता में आने के बाद पूरे सिस्टम को बदला गया। आज परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ होती है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 05:15 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 05:15 PM (IST)
Deputy CM Said: नकलविहीन बोर्ड परीक्षा भाजपा सरकार की देन
कार्यक्रम में संबोधित करते उपमुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा। -जागरण।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में नकलविहीन बोर्ड परीक्षा भाजपा सरकार की देन है। पहले यहां नकल के ठेके हुआ करते थे। पड़ोस के प्रदेश के लोग यहां आकर लाखों रुपये देकर परीक्षाएं देते थे। कुछ जिले तो ऐसे थे जहां दूसरे की जगह बैठकर कोई अन्य व्यक्ति परीक्षा देता था। नकल यहां उद्योग बन गया था। सत्ता में आने के बाद पूरे सिस्टम को बदला गया। आज परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ होती है।

डिप्टी सीएम गोरखपुर सैनिक स्कूल शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में बिना छात्र व शिक्षक की गिरफ्तारी किए बिना हमने पूरे सिस्टम को बदला। छात्रों को आधार पंजीकरण से जोड़ा गया। कापियों को डीकोड किया गया। अलग-अलग पांच से छह जिलों के पर्चे अलग-अलग छपकर आने लगे। जिन परीक्षा केंद्रों की नीलामी होती थी उन्हें आनलाइन जोड़ दिया गया। सभी केंद्रों को सीसीटीवी कैमरे से लैस किए गए। लखनऊ के साथ-साथ प्रत्येक जनपदों में कंट्रोल रूम स्थापित कर इन्हें आनलाइन जोड़ा गया।

अब आधे रह गए परीक्षा केंद्र

उन्होंने कहा कि पहले चौदह हजार परीक्षा केंद्र होते थे। पिछली साल पारदर्शी व्यवस्था से परीक्षा केंद्रों का निर्धारण किया गया तो सिर्फ 7786 परीक्षा केंद्र बने। माध्यमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी के पैटर्न पर किया गया। विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा मिले इसके लिए इसमें रोजगार परक पाठ्क्रम जोड़ा गया। माध्यमिक शिक्षा के इतिहास में पहली बार इस तरह का आमूल-चूल परिवर्तन हुआ। ताकि कोई हमारे बोर्ड का कोई विद्यार्थी भारत के किसी भी कोने में जाए तो उसे अन्य बोर्ड की तरह ही सम्मान मिल सके। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के पंद्रह सालों के शासनकाल में सिर्फ 48 माध्यमिक विद्यालय बने थे। साढ़े चार सालों के दौरान प्रदेश में न सिर्फ 215 से अधिक माध्यमिक विद्यालय बने बल्कि संचालित भी होने लगे। 166 विद्यालय पं.दीनदयाल उपाध्याय माडल स्कूल के रूप में चलने लगे। बीस वर्ष पहले किताबें जिस मूल्य पर मिलती थी आज उप्र में उसी मूल्य पर किताबें मिल रहीं हैं। यह सब परिवर्तन की देन है। इसके अलावा प्रदेश में 12 विश्वविद्यालय भी बने हैं और छह विश्वविद्यालय निर्माणाधीन है। आज नवनियुक्त शिक्षकों का पदस्थापन पारदर्शी व्यवस्था के तहत हो रही है। पहले इसके लिए लाखों रुपये घूस लिए जाते थे।

बदल रहा है उत्तर प्रदेश

डिप्टी सीएम डा.दिनेश शर्मा ने कहा कि आज पूरा उत्तर प्रदेश बदल रहा है। पांच वर्ष पूर्व प्रदेश् के बाहर का व्यक्ति भी उप्र के बारे गलत भ्रांति रखता था। चारों तरफ अराजकता का वातावरण था। अव्यवस्थाओं का जोर था। अवस्थापना सुविधाओं से विमुक्त यह प्रदेश एक निसहाय सा दिखाई दे रहा था। अब ऐसा नहीं है।

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