योगी आदित्यनाथ के बंगाल दौरे के बहाने नाथ पंथ की परंपराओं पर एक नजर..

डा.राव बताते हैं कि भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना करने वाले स्वामी प्रणवानंद योगिराज गंभीरनाथ के शिष्य थे। उन्होंने बंगाल को ही केंद्र बनाकर अपनी संस्था का विकास किया। ऐसे में संघ से जुड़े लोगों की भी नाथ पीठ के प्रति गहरी आस्था है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 12:13 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 02:20 PM (IST)
योगी आदित्यनाथ के बंगाल दौरे के बहाने नाथ पंथ की परंपराओं पर एक नजर..
परंपरा वाहक ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर योगीराज बाबा गंभीरनाथ। फाइल फोटो

डा. राकेश राय, गोरखपुर। बंगाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता यूं ही नहीं है। बंगाल में नाथ पंथ की लंबी शिष्य परंपरा है, जिसका इतिहास योगिराज बाबा गंभीरनाथ से जुड़ा हुआ है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के गुरु गंभीरनाथ ने अपनी साधना का एक तिहाई वक्त बंगाल में ही गुजारा और बड़ी संख्या में शिष्य बनाए थे। नतीजतन, आज बंगाल में नाथ पीठ के प्रति आस्था रखने वालों की संख्या लाखों में हैं।

गोरखनाथ मंदिर से जुड़े महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डा. प्रदीप कुमार राव बताते हैं कि बंगाल में नाथ पीठ के प्रति आस्था के चलते ही अक्षय कुमार बनर्जी वहां से गोरखनाथ मंदिर आए और यहीं के होकर रह गए। उन्हें वही सम्मान मिला, जो नाथ योगियों को मिलता है। मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में उनकी प्रतिमा स्थापित होना, इसकी पुष्टि है।

अक्षय बनर्जी ने अपनी पुस्तक ‘आदर्श योगी : श्रीश्री योगिराज बाबा गंभीरनाथ’ में योगिराज के दिसंबर 1914 से जनवरी 1915 तक के अंतिम बंगाल प्रवास, कोलकाता में आश्रम बनाने और लंबी शिष्य परंपरा खड़ा करने का जिक्र है। अक्षय बनर्जी लिखते हैं कि जब तक योगिराज कोलकाता में रहे, सुबह से शाम तक भक्तों के दीक्षा लेने का सिलसिला जारी रहता।

डा. राव का कहना है कि योगी गोपालनाथ भी लंबे समय तक बंगाल के आंदोलनकारियों के संपर्क में रहे थे। इसी कारण ब्रिटिश हुकुमत की यातना ङोलनी पड़ी थी। डा. राव स्वामी विवेकानंद से भी नाथ पीठ के संबंध की चर्चा करते हैं। बताते हैं, स्वामी जी गाजीपुर में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर बलभद्रनाथ जी से मिले थे। नाथ पंथ पर बंगाली भाषा में रची गई कल्याणी मलिक की पुस्तकें ‘नाथ संप्रदाय का इतिहास दर्शन’ और ‘सिद्ध-सिद्धांत पद्धति’ भी बंगाल से पीठ के आध्यात्मिक रिश्ते मजबूत डोर को रेखांकित करती है। डा. राव ने बताया कि इन पुस्तकों की लोकप्रियता के चलते ही इनका हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद हुआ है।

बंगाल में नाथ पीठ के तीन मंदिर

उड़ीसा के कटक में नाथ पीठ की गद्दी संभाल रहे योगिराज शिवनाथ के अनुसार पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में पीठ के मंदिर हैं। कोलकाता में गोरखनाथ मंदिर है तो मेदनीपुर में सिद्धनाथ मंदिर। हुगली में स्थापित जटेश्वरनाथ मंदिर भी इसी पीठ का हिस्सा है।

गंभीरनाथ के शिष्य थे प्रणवानंद

डा.राव बताते हैं कि भारत सेवाश्रम संघ की स्थापना करने वाले स्वामी प्रणवानंद योगिराज गंभीरनाथ के शिष्य थे। उन्होंने बंगाल को ही केंद्र बनाकर अपनी संस्था का विकास किया। ऐसे में संघ से जुड़े लोगों की भी नाथ पीठ के प्रति गहरी आस्था है। बाबा गंभीरनाथ के बाद ब्रrालीन महंत दिग्विजयनाथ व अवेद्यनाथ ने भी संघ से गुरु परंपरा को निभाया और अब योगी आदित्यनाथ निभा रहे हैं।

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