अंदर बेड खाली, बाहर तड़प रही जिंदगी

बस्ती के कैली अस्पताल के 350 में केवल 150 बेड पर हो रही भर्ती

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 06:20 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 06:20 AM (IST)
अंदर बेड खाली, बाहर तड़प रही जिंदगी
अंदर बेड खाली, बाहर तड़प रही जिंदगी

जागरण संवाददाता, बस्ती

सल्टौआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर किए जाने के बाद बुजुर्ग रंभा देवी को उनके स्वजन बड़ी आशा से महर्षि वशिष्ठ मेडिकल से संबद्ध कैली अस्पताल लेकर आए। वह सुबह 10 बजे से दो बजे तक अस्पताल में गुहार लगाते रहे, लेकिन संवेदनहीन व्यवस्था ने भर्ती ही नहीं किया। थक-हारकर स्वजन उन्हें लेकर चले गए। जिंदगी बाहर घंटों तक तड़पती रही। वह भी तब, जब कोरोना मरीजों के इलाज के लिए संसाधनों से लैस किए गए 350 बेड के इस अस्पताल में गुरुवार को केवल 131 मरीज ही भर्ती थे।

यह इकलौता मामला नहीं था। कोई कार तो कोई एंबुलेंस में इंतजार करने को मजबूर है। एक मरीज ने भर्ती होने के इंतजार में ओपीडी के बाहर ही दम तोड़ दिया। जागरण पड़ताल में पता चला कि यहां 150 बेड पर ही मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। पांच वार्डो के 200 बेड ताले में बंद हैं। लेवल टू के इस अस्पताल में 107 वेटिलेटर हैं, अत्याधुनिक पैथोलाजी, सीटी स्कैन समेत अन्य जरूरी इंतजाम हैं, लेकिन प्रबंधन मनमाने तरीके से हो रहा है। यहां मरीज भर्ती करने से पहले ईएमओ को ओपीडी के डाक्टर से अनुमति लेनी पड़ती है। दो चिकित्सकों की बनी टीम सुबह और शाम खाली बेड की सूची जारी करती है, तब ये मरीज भर्ती किए जाते हैं। किसे भर्ती करना है, यह तय करने के लिए आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में तीन चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है। यानी जिंदगी को सांसे पाने के लिए नियमों की बंदिश झेलनी पड़ रही है। सुबह से शाम हो जाती है और मरीज अस्पताल के बाहर तड़पते हुए बारी आने का इंतजार करते रह जा रहे हैं। इतने नियमों की बंदिश के बाद भी मरीजों की वेटिंग लिस्ट तक नहीं बन रही है। सिफारिश पर जरूर अस्पताल के दरवाजे खुल जा रहे हैं। सरकार हमें आक्सीजन और सिलेंडर उपलब्ध करा दे, हम सभी बेड पर मरीज भर्ती कर लेंगे। भर्ती करने के लिए अनुमति इसलिए रखी है ताकि गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके। इसीलिए वेटिंग लिस्ट नहीं बना रहे।

डा. नवनीत कुमार, प्राचार्य महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज

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