कैंसर को दिया मात, पढ़ा रहे सतर्कता का पाठ
सेहत में सुधार होने पर स्वजन के चेहरों पर छाई खुशी
महराजगंज: वो कोई और चिराग होते हैं, जो हवाओं से बुझ जाते हैं, हमने तो जलने का हुनर तूफानों से सीखा है। इस सूत्र वाक्य को अपने जीवन में उतारा है डा. प्रशात पाडेय ने। अदम्य साहस व जीजिविषा के बल पर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को इन्होंने मात दिया है। तो स्वजन के चेहरों पर खुशहाली छा गई है। अब वह लोगों को सतर्कता व सावधानी का पाठ पढ़ा रहे हैं।
महराजगंज के आबेडनगर निवासी डा. प्रशात पाडेय को वर्ष 2015 में कैंसर का पता चला। तो पहले घबड़ाहट बढ़ गई। मानो जिंदगी अंधकारमय हो गई हो, हर दिन अस्पतालों का चक्कर, डाक्टरों के परामर्श और दवाओं में समय गुजर रहा था। लेकिन उन्होंने धैर्य से काम लिया। इसके बाद टाटा उन्होंने कैंसर अस्पताल, मुम्बई, में इलाज शुरू कराया। वहा पहली, दूसरी कीमोथेरेपी व आपरेशन हुई, जबकि रेडियोथेरेपी उन्होंने वेदाता हास्पिटल दिल्ली में कराया। स्वजन ने भी इस मुश्किल दौर के बीच उनका हर संभव साथ दिया। स्वजन के हौसला आफजाई से संबल मिला और चिकित्सकों के प्रयास से डेढ़ वर्ष में उन्हें नई जिंदगी मिली। कैंसर इलाज के दौरान डेढ़ वर्ष तक मरीजों और समाज से दूरी बन गई थी। जिसका मलाल था, लेकिन सेहत में सुधार होने के बाद मन में ठान लिया कि लोगों को इसके बारे में जागरूक करूंगा, ताकि कोई इस गंभीर बीमारी की चपेट में न आए। अब हास्पिटल पर आने वाले हर मरीजों को कैंसर के प्रति जागरूक करता हूं और सतर्कता के उपाय बताकर संबल प्रदान करता हूं। अगर सही समय से इलाज कराया जाए तो बीमारी ठीक हो सकती है।
डा. प्रशात पाडेय
दंत रोग विशेषज्ञ, महराजगंज