अभी रहें सतर्क, लापरवाही ठीक नहीं
संतकबीर नगर कोरोना अब खत्म होने की ओर है लेकिन अभी इससे लापरवाह होने की जरूरत नही
संतकबीर नगर : कोरोना अब खत्म होने की ओर है, लेकिन अभी इससे लापरवाह होने की जरूरत नहीं है। दूसरी लहर ने पूरे देश को तोड़कर रख दिया है। हजारों लोगों ने अपने प्रियजन खोए हैं। कोई ऐसा परिवार नहीं है, जो इससे पीड़ित न रहा हो। एक बार फिर जानकार तीसरी लहर के बारे में अभी से आगाह कर रहे हैं, इसलिए हम सभी को सतर्क जाना है। कोरोना से घबराने की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है तो उसे डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है। खान-पान का ध्यान रखकर हम इससे मुक्त हो सकते हैं। इसके साथ ही चिकित्सकों की सलाह और कोविड नियमों का पालन करना होगा। कोरोना की दूसरी लहर में हम लोग संक्रमित हुए थे, तब डर लगा था, लेकिन स्वजन के दिए हौसलों से कोरोना को हरा दिया। कोरोना को लेकर क्या कहते हैं जंग जीतने वाले लोग।
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कोविड नियमों का पालन कर जीती जंग
बघौली ब्लाक के बरईपार की सौम्या सिंह बताती हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गईं। घर के लोग डर गए। अस्पतालों में कहीं जगह नहीं थी, ऐसे समय में हमने हिम्मत दिखाई। घर में रहकर कोविड नियमों पालन किया। दवा के साथ काढ़ा, गरम पानी, नीबू के अलावा रात में हल्दी के साथ दूध लेते हुए ड्राई फूड का भी सेवन किया। खानपान और पर्याप्त नींद का भी ध्यान रखा और कोरोना को मात देने में सफल रही। कोरोना को डर कर नहीं, लड़कर हराया जा सकता है। हमें अभी लापरवाह होने की जरूरत नहीं है।
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धैर्य और हौसले के बूते कोरोना की दी मात
- डड़वा के जयहिद प्रजापति भी कोरोना संक्रमित रहने के बाद अपने हौसले से इसे हराया है। वह कहते हैं कि दूसरी लहर में उनकी तबीयत खराब हुई थी। जांच कराने के बाद उन्हें पता चला कि वह कोरोना पाजिटिव हैं। डर के मारे लगा कि अब जीवन खत्म हो गया। लेकिन घर के लोगों और मित्रों ने हिम्मत बढ़ाई। उन्होंने तय किया कि वह कोरोना को परास्त करके ही दम लेंगे। घर में रहकर धैर्य और हिम्मत के साथ नियमों का पालन किया और ठीक हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना को जड़ से मिटाने के लिए लोगों का टीकाकरण करवा रही है। पात्र लोगों को हर हाल में टीका लगवाना चाहिए। इससे हमें लापरवाह नहीं होना है। हम सकारात्मक रहकर ही कोरोना से जीत सकते हैं।
---------------------------------- कोरोना से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत चुरेब के रविकांत पांडेय बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में ही वह संक्रमित हो गए थे। तब कोरोना को लेकर इतना खौफ था कि लोग हालचाल भी नहीं पूछते थे। हर जगह अराजकता का माहौल था। अस्पतालों में जगह नहीं थी। आक्सीजन के लिए लोग मारे-मारे फिर रहे थे। ऐसे दौर में हमने हिम्मत से काम लिया। तय किया कि इससे डरेंगे नहीं, लड़ेंगे। घर के लोगों ने भी हिम्मत दी। घर पर ही रहकर कोविड नियमों का पालन करते हुए मैंने कोरोना को हरा दिया। उनका यही कहना है कि कोरोना को हराना आसान है। इसके लिए नकारात्मक नहीं सकारात्मक सोच की जरूरत है।
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हिम्मत बनाए रखा और हार गया कोरोना
- बरईपार के वेद प्रकाश सिंह कहते हैं कि कोरोना बहुत ही खतरनाक है। लेकिन जागरूकता से इस पर आसानी से विजय पाई जा सकती है। वह पुलिस विभाग में हैं, इसलिए लोगों के बीच रहने से वह कब संक्रमित हो गए, पता ही नहीं चला। तबीयत खराब हुई तो जांच करवाया। संक्रमित होने की रिपोर्ट आई तो घर के लोग चिता के मारे परेशान हो गए, लेकिन मैंने हिम्मत से काम लिया। परिवार से अलग होकर कोविड नियमों का पालन किया। चिकित्सकों की राय पर दवा ली। इस बीच नियमित योग किया। उसका परिणाम यह हुआ कि वह घर पर ही कोरोना से ठीक हो गए। वह कहते हैं कि सावधानी और सजगता से ही कोरोना को हराया जा सकता है।