रहें सतर्क, आपकी सेहत बिगाड़ सकता है कार्बाइड से पका हुआ आम

आम के कई औषधीय गुण भी हैं लेकिन कई बार बाजार में बिकने वाले पके हुए आम आपकी सेहत को भारी नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। व्यापारी रासायनिक तौर तरीकों से आम को पका देते हैं और जिन रसायनों का इस्तेमाल इन्हें पकाने के लिए किया जाता है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 01:10 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 01:10 PM (IST)
रहें सतर्क, आपकी सेहत बिगाड़ सकता है कार्बाइड से पका हुआ आम
इटवा बाजार में ठेले पर बिका रहा कार्बान से पका आम। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : सिद्धार्थनगर जिले में फलों का राजा आम हर तरफ सजा हुआ है। अलग-अलग प्रजातियों के आम बाजार में खूब बिकते नजर आ रहे हैं। कोई घर ऐसा नहीं है, जहां गर्मियों में आम का स्वाद न लिया जाता हो। चाहे हाफुस आम हो या कलमी, लंगड़ा या फिर केसर अथवा दशहरी, आम सबकी पसंद है। रस भरे आमों के स्वाद भोजन का जायका दोगुना कर देता है। आम के कई औषधीय गुण भी हैं, लेकिन कई बार बाजार में बिकने वाले पके हुए आम आपकी सेहत को भारी नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। बाजार की नब्ज पकड़ने के लिए व्यापारी रासायनिक तौर तरीकों से आम को पका देते हैं और जिन रसायनों का इस्तेमाल इन्हें पकाने के लिए किया जाता है, वे बेहद घातक सिद्ध हो सकते हैं।

बाजार में डाल का पका आम आने में लगेगा 15 से 20 दिन

फलों का पकना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके जरिये फल अपने वांछित स्वाद, गुणवत्ता, रंग और प्रकृति और अन्य बनावट गुणों को प्राप्त करते हैं। पकने की प्रक्रिया में स्टार्च का चीनी में रूपांतरण हो जाता है। फलों को पकाने के लगभग सभी तरीके या तो पारंपरिक हैं या आधुनिक रासायनिक तरीके हैं। जिसके अपने गुण और अवगुण हैं। प्राकृतिक परिस्थितियों में, एथिलीन, पौधे द्वारा उत्पादित एक पकने वाला हार्मोन है जो पकने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने के लिए घरों में प्रचलित एक सरल तकनीक है। हवा बंद डब्बे के अंदर पके फलों के साथ कच्चे पकने वाले फलों को एक साथ रखना, लेकिन इस पद्धति का मुख्य दोष यह है कि फल एक समान रंग और स्वाद प्राप्त नहीं करते हैं। डाल का पका आम बाजार में आने लिए कम से कम अभी 15 से 20 दिन लग जाएंगे। इधर जो भी आम दिखाई देंगे, कहीं न कहीं व रसायनिक तरीके से ही पकाए गए होंगे।

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

कृषि वैज्ञानिक केंद्र सोहना के वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डा. प्रदीप कुमार ने कहते हैं कि आम कई तरीके से पकाए जाते हैं। उत्पाद पर धुएं की गंध इसकी गुणवत्ता को प्रभावित करती है। धान की भूसी या गेहूं की भूसी को एक समान फैला कर उस पर फलों को फैलाना तथा इसी से ढक कर पकाना भी एक विकल्प है। कार्बाइड से पकाना घातक होता है। कैल्शियम कार्बाइड, एक बार पानी में घुल जाने पर एसिटिलीन का उत्पादन करता है जो एक कृत्रिम पकने वाले एजेंट के रूप में कार्य करता है। माना जाता है कि एसिटिलीन मस्तिष्क को आक्सीजन की आपूर्ति को कम करके तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है आर्सेनिक और फास्फोरस विषैले होते हैं जो एक गंभीर स्वास्थ्य खतरों का कारण बन सकता है।

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