गोरखपुर के व्यापारी की मदद से घर पहुंचा बलिया का युवक Gorakhpur News

एजेंट ने हर माह 1400 दिरहम (28718 रुपये) मिलने का भरोसा देकर भेजा था। लेबर की नौकरी करने से इंकार करने पर कंपनी के मालिक ने उसका पासपोर्ट लेकर लेबर कोर्ट में केस कर दिया। जिसकी वजह से वह शारजाह में ही फंस गया।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 12:48 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 06:05 PM (IST)
गोरखपुर के व्यापारी की मदद से घर पहुंचा बलिया का युवक Gorakhpur News
शारजाह से वापस आया बलिया का मैनुद्दीन, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह शहर में फंसा बलिया का युवक गोरखपुर के व्यापारी की मदद से मंगलवार को घर पहुंचा।कंपनी के मालिक ने पासपोर्ट कब्जे में लेने के साथ ही लेबर कोर्ट में उसके खिलाफ केस कर दिया था। जिसकी वजह से वह स्वदेश नहीं आ पा रहा था।वतन लौटने पर युवक ने गोरखपुर के व्यापारी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

स्पांसर ने पासपोर्ट कब्जे में लेकर लेबर कोर्ट में कर दिया था केस

बलिया, सिकंदरपुर के भूड़ाडीह का रहने वाला मुैनुद्दीन नवंबर 2020 में शारजाह की समा अल रियाद टेक्निकल कंपनी में इलेक्ट्रिशियन की नौकरी करने गया था। वहां पहुंचने पर कंपनी के अधिकारियों ने लेबर का काम दे दिया। एजेंट ने हर माह 1400 दिरहम (28,718 रुपये) मिलने का भरोसा देकर भेजा था। लेबर की नौकरी करने से इंकार करने पर कंपनी के मालिक ने उसका पासपोर्ट लेकर लेबर कोर्ट में केस कर दिया। जिसकी वजह से वह शारजाह में ही फंस गया।

छह माह से संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह में फंसा था

पासपोर्ट न होने की वजह से कहीं नौकरी भी नहीं मिली। शारजाह में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों ने आसरा दिया। फरवरी 2021 के पहले सप्ताह में मामले की जानकारी दुबई में व्यापार करने वाले गोरखपुर मोहम्मद आरिफ को हुई। मैनुद्दीन के पास जाकर पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद उन्होंने समा अल रियाद टेक्निकल कंपनी के मालिक से बात कर लेबर कोर्ट में चल रहा केस वापस कराया। शारजाह से दिल्ली होते हुए लखनऊ आने वाली फ्लाइट का टिकट खरीदकर दिया। मंगलवार की सुबह मैनुद्दीन लखनऊ पहुंचा।

राममंदिर निर्माण के लिए दिए थे पांच लाख

शाहपुर, पादरी बाजार के मूल निवासी मोहम्मद आरिफ जनवरी में गोरखपुर आए थे। 28 फरवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय माधव धाम पहुंचकर राममंदिर निर्माण के लिए पांच लाख रुपये दिए थे।

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