घर में घरवालों से दूर, कोरोना से लड़ने का जज्बा भरपूर

मूल रूप से गौरीबाजार के देवगांव और शहर में भटवलिया ट्यूबवेल कालोनी निवासी कमलेश सिंह कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए तब सामने आईं जब लोग कतरा रहे थे। प्रभारी सीएमएस डा. छोटेलाल ने उन्हें मार्च 2020 में सैंपलिंग कक्ष में लगाया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 06:10 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 06:10 AM (IST)
घर में घरवालों से दूर, कोरोना से लड़ने का जज्बा भरपूर
घर में घरवालों से दूर, कोरोना से लड़ने का जज्बा भरपूर

सौरभ कुमार मिश्र, देवरिया : मां पर क्या गुजरेगी, अगर वह सामने खड़े बेटे-बेटी के सिर पर हाथ न फेर सके। बात करे लेकिन लक्ष्मण रेखा में रहकर, वह भी खुद की खींची हुई। यह दर्द कुछ क्षण का रहा हो, ऐसा नहीं है। एक मां बीते एक साल से इस दर्द से गुजर रही है, लेकिन उन्हें संतोष भी है कि वह कोरोना जैसी महामारी से जंग में जुटी हुई हैं। यह मां हैं, जिला अस्पताल में तैनात नर्सिग अधीक्षक कमलेश सिंह। वह बीते एक वर्ष से कोरोना सैंपलिंग कक्ष में ड्यूटी कर रही हैं।

मूल रूप से गौरीबाजार के देवगांव और शहर में भटवलिया ट्यूबवेल कालोनी निवासी कमलेश सिंह कोरोना से दो-दो हाथ करने के लिए तब सामने आईं, जब लोग कतरा रहे थे। प्रभारी सीएमएस डा. छोटेलाल ने उन्हें मार्च 2020 में सैंपलिंग कक्ष में लगाया। जून 2020 में वह संक्रमित भी हो गईं, लेकिन हार नहीं मानी। ठीक होकर फिर से सैंपलिंग में जुट गईं। उनका जज्बा देखकर एनसीसी, सरस फाउंडेशन आदि संस्थाएं और सासद डा. रमापति राम त्रिपाठी सम्मानित कर चुके हैं। कमरे से अस्पताल, अस्पताल से कमरा

कमलेश ने अपने को घर के एक कमरे में सीमित कर लिया है। वह बताती हैं कि घर की जिम्मेदारियां इंटर में पढ़ने वाली बेटी और बेटे ने संभाल ली है। अस्पताल से लौटती हूं तो साबुन से हाथ धुलकर घर में घुसती हूं। भाप लेने के बाद गरम पानी से नहाती हूं। बेटी या बेटा कमरे में खाना रखकर बाहर चले जाते हैं। दोनों से बात करती हूं लेकिन दूर रहकर। वह गुस्सा करते हैं लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से वह संक्रमण की चपेट में आ जाएं। नैनीताल में तैनात जूनियर इंजीनियर पति चंद्रमोहन सिंह आते हैं लेकिन उनसे भी दूर से बात करती हूं। बकौल कमलेश, घरवालों के साथ दो पल के लिए न बैठ पाने का दर्द है, लेकिन गर्व भी है कि ईश्वर ने मुझे ऐसे कठिन समय में काम करने योग्य बनाया है। कमलेश सिंह बहादुर महिला हैं। वह पूरी निष्ठा व इमानदारी से एक वर्ष से कोरोना सैंपलिंग कक्ष में ड्यूटी कर रही हैं। हमें उन पर गर्व है।

-डा. आलोक पाडेय, सीएमओ कोरोना संक्रमण काल में जब लोग ड्यूटी से डरते थे, तब कमलेश सिंह आगे बढ़ीं। उन्होंने अन्य स्टाफ नर्सो को भी हौसला दिया। उनकी जितनी प्रसंसा करें, कम है।

-डा. एएम वर्मा, सीएमएस

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