गोरखपुर में आक्सीजन की कालाबाजारी रोकने के लिए तैयार आडिट एप अभी इस्तेमाल लायक नहीं
सात मई को लांच हुए एप के संचालन में अस्पताल प्रबंधन के प्रशिक्षित न होने की वजह से दिक्कत आ रही है। इसे दूर करने के लिए प्रशासन अस्पताल प्रबंधन को बारी-बारी से प्रशिक्षित करने में जुटा हुआ है।
गोरखपुर, जेएनएन। आक्सीजन की काला बाजारी रोकने और अस्पतालों को उनकी जरूरत के मुताबिक समय रहते आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दृष्टि से तैयार किया गया आक्सीजन आडिट एप इस्तेमाल की शुरुआती दिक्कतों से गुजर रहा है। सात मई को लांच हुए एप के संचालन में अस्पताल प्रबंधन के प्रशिक्षित न होने की वजह से दिक्कत आ रही है। इसे दूर करने के लिए प्रशासन अस्पताल प्रबंधन को बारी-बारी से प्रशिक्षित करने में जुटा हुआ है। प्रशिक्षण के दौरान प्रबंधन को आक्सीजन की मौजूदगी की सही सूचना देने के लिए सचेत भी किया जा रहा है।
चार जिलों की आडिट की जिम्मेदारी एमएमएमयूटी को
कोरोना संक्रमण के तेजी से बढऩे के चलते आक्सीजन की बढ़ रही कालाबाजारी और मांग के मुताबिक आपूर्ति पर नियंत्रण रखने के लिए बीते दिनों शासन ने प्रदेश के महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थानों से आक्सीजन आडिट कराने का निर्णय लिया। गोरखपुर मंडल के सभी चार जिलों (गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज) के आडिट की जिम्मेदारी मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विवि को मिली। इसी क्रम में विवि ने प्रशासन की मांग के मुताबिक एक ऐसा एप तैयार किया, जिससे आक्सीजन निर्माण यूनिट से लेकर अस्पताल में इस्तेमाल तक की निगरानी रखी जा सकती है। सात मई को प्रशासन ने इस एप को लांच कर दिया है। इससे सभी चार जिलों के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को जोडऩे की प्रक्रिया भी निरंतर चल रही है। 70 फीसदी अस्पताल जोड़े जा चुके हैं।
तकनीकी दक्षता न होने से आ रही दिक्कत
अपर आयुक्त (न्यायिक) एवं आक्सीजन आडिट के नोडल अधिकारी रतिभान का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन के तकनीकी रूप से दक्ष न होने के चलते थोड़ी दिक्कत आ रही है लेकिन इसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। तकनीकी दक्षता प्रबंधन की ओर से नामित लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।