Manish Murder Case: सीबीआइ के सवालों से आंखों के सामने उभरा विस्मयकारी रात का मंजर

Manish Gupta Murder case सीबीआइ ने मनीष के दोस्त चंदन सैनी राणा प्रताप चंद शंभू सहित कई लोगों से गोरखपुर में करीब दस घंटे तक पूछताछ की। सीबीआइ के सवालों से उनके सामने बीते 27 सितंबर के विस्मयकारी रात की पूरी दास्तान उभर गई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 11:53 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 11:53 AM (IST)
Manish Murder Case: सीबीआइ के सवालों से आंखों के सामने उभरा विस्मयकारी रात का मंजर
Manish Gupta Murder case: सीबीआइ ने गोरखपुर में मनीष के दोस्‍तों से पूछताछ कर रही है। - प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सीबीआइ ने कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के स्थानीय दोस्त चंदन सैनी, राणा प्रताप चंद, शंभू सहित कई लोगों से गोरखपुर में करीब दस घंटे तक पूछताछ की। मैराथन पूछताछ के दौरान मनीष के स्थानीय दोस्त बीच-बीच में बाहर निकलते रहे। उन्होंने बताया कि सीबीआइ के सवालों से उनके सामने बीते 27 सितंबर के विस्मयकारी रात की पूरी दास्तान उभर गई। उन्होंने कहा कि मनीष जाते-जाते भी अपने दोस्तों को सुरक्षित कर गए। उन्होंने कहा कि मनीष की आखिरी काल यदि रिकार्ड नहीं हुई होती तो पुलिस न जाने इस मामले को किस रूप में प्रस्तुत करती।

दोस्तों ने बताया कि मनीष की काल रिकार्ड नहीं होती तो पुलिस पी जाती पूरा मामला

मनीष के स्थानीय दोस्तों से सीबीआइ सुबह नौ बजे से पूछताछ करती रही। इस दौरान मनीष के कुछ दोस्त बाहर निकले तो उन्होंने बताया कि सीबीआइ के सवालों के दौरान उस रात की पूरी घटना लगा जैसे आंखों के सामने चल रही हो। राणा प्रताप चंद ने बताया कि दारोगा अक्षय मिश्रा की काल से लेकर पूरी घटना से जुड़ी वह कोई बात भूले नहीं हैं। शंभू ने बताया कि उनके दोस्त चंदन सैनी भोजपुरी फिल्मो से भी जुड़े हैं। सभी लोग एक साथ कार से लौट रहे थे।

इसी दौरान चंदन के नंबर पर एक अनजान नंबर से फोन आया और ट्रू कालर के जरिये पता चला कि वह नंबर अक्षय कुमार है। नाम पढ़ते ही उन्हें लगा कि यह अभिनेता अक्षय कुमार की काल है। मोबाइल ब्लूटूथ के जरिये कार से कनेक्ट थी। इससे कार में बैठे सभी लोग आवाज को पूरी तरह साफ-साफ रहे थे। उन्होंने बताया कि फोन करने वाले ने अपना नाम अक्षय मिश्रा फलमंडी चौकी इंचार्ज बताया था और पूछा कि अभी किसी को होटल पर छोड़ गए हो क्या। उन्होंने बताया कि वह गेस्ट हैं हमारे। थोड़ी देर पहले छोड़कर गए हैं।

मामले को मैनेज करने के लिए भी पुलिस ने की थी कोशिश

उन्होंने बताया कि पुलिस का फोन कटा नहीं था। होटल में उनके दोस्तों को पुलिस ने गाली दी थी और वह कुछ करने जा रहे थे, यह बात उन्होंने फोन पर सुनी थी और कार रास्ते से घुमाकर वह होटल पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि वह होटल पहुंचे तो वहां मनीष नहीं थे। उन्होंने बताया कि पुलिस तो सुबह तक उन पर मामले को मैनेज करने के लिए दबाव बनाती रही। उन्होंने बताया कि गोरखपुर घूमने की इच्‍छा मनीष के दोस्त प्रदीप व हरबीर ने व्यक्त की थी। मनीष तो उनके साथ आ गए थे। उन्होंने कहा कि पुलिस पूरे मामले को पी जाने के चक्कर में थी, लेकिन मनीष की अंतिम काल जो उन्होंने अपने भांजे के पास की थी, वह रिकार्ड हो गई थी और उससे पूरी सच्‍चाई सामने आ गई। अन्यथा न जाने पुलिस इसे किस तरह प्रस्तुत करती और किन-किन लोगों को फंसाती।

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