आरएसएस का शस्त्र पूजन : धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों जरूरी
मुख्य वक्ता अखिल भारतीय शैक्षिक संघ के प्रदेश महामंत्री आशीष मणि ने कहा कि मनुष्यता और धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता होती है। हमारी सत्य सनातन परंपरा ही परित्राणाय च साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम का उद्घोष करती है।
गोरखपुर, जेएनएन। पिपराइच उपनगर के विष्णुपुरी परिसर में विजयदशमी के अवसर पर सोमवार को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ द्वारा परंपरागत तरीके से शस्त्र पूजन किया गया। कार्यकम की शुरुआत मां जगदम्बा, प्रभु श्रीराम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। कोरोना काल के चलते पहली बार ऐसा हुआ कि शोभायात्रा नहीं निकाला जा सका। पूजन में संघ के अलावा भाजपा, हियुवा व क्षेत्र के युवा भी शामिल रहे।
शस्त्र और शास्त्र कमजोर रहने पर ही बलवान होता है अधर्म
मुख्य वक्ता अखिल भारतीय शैक्षिक संघ के प्रदेश महामंत्री आशीष मणि ने कहा कि मनुष्यता और धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता होती है। हमारी सत्य सनातन परंपरा ही परित्राणाय च साधुनाम, विनाशाय च दुष्कृताम का उद्घोष करती है। अधर्म तभी बलशाली होगा जब शस्त्र और शास्त्र दोनों कमजोर पड़ेंगे। इसलिए इनकी नित्य साधना आवश्यक है। भगवान राम ने अधर्म के प्रतीक रावण के विनाश के लिए शक्ति की उपासना की थी।
इसलिए मिला विजयदशमी मनाने का अवसर
वक्ताओं ने कहा कि देश हित में राष्ट्र के रक्षा की जिम्मेदारी संगठन से जुड़े स्वयं सेवियों को लेनी चाहिए। अधर्म पर धर्म की विजय के कारण ही हमें विजयदशमी पर्व मनाने का अवसर प्राप्त हुआ है। इसलिए संघ अपनी स्थापना दिवस पर शस्त्र की उपासना कर उसी गौरवशाली परंपरा की याद दिलाते हुए हिदू समाज को संगठित और शक्तिशाली बनाने का प्रयास करता है। शस्त्र हमारी रक्षा करतें है। युद्ध में विजय दिलाते हैं। सनातनियों ने हमेशा बुराई रूपी रावण का वध इसी से किया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता राधेश्याम गुप्ता ने की। इस दौरान नगर संघ चालक ओम रामरायका , रुद्रनारायण , राजकुमार , राजेश , हेमन्त , अशोक , धीरज , गुड्डू, अभिरंजन , आकाश, राजन, दीपक , अभिषेक, शिवाजी आदि उपस्थित रहे।