PM Awas Yojana: डूडा व तहसील कर्मियों की मनमानी, घर जर्जर- पांच हजार तनख्वाह फिर भी अपात्र

गोरखपुर में डूडा और तहसील कर्मियों की लापरवाही के कारण पात्र लोगों को पीएम आवास योजना का लाभ नहीं म‍िल पा रहा है। शहर में कई ऐसे लोग हैं ज‍िनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है इसके बाद उन्‍हें अपात्र की श्रेणी में डाल द‍िया गया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 09:02 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 05:25 PM (IST)
PM Awas Yojana: डूडा व तहसील कर्मियों की मनमानी, घर जर्जर- पांच हजार तनख्वाह फिर भी अपात्र
जर्जर मकान में रहने को मजबूर गोरखपुर आशुतोष कुमार। - जागरण

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। Pradhan Mantri Awas Yojana: वार्ड नंबर 53 काजीपुर खुर्द के आशुतोष कुमार का घर रहने लायक नहीं है। घर के आधे हिस्से की छत 10 साल पहले गिर चुकी है। आधे हिस्से में तिरपाल डालकर आशुतोष अपनी मां के साथ रहते हैं। पांच हजार रुपये प्रति माह की तनख्वाह पर निजी कंपनी में काम करते हैं। जर्जर हो चुके घर के कारण शादी भी नहीं हो पा रही है। दो साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत भवन निर्माण के लिए आवेदन किया था। तब से न जाने कितने चक्कर जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) और तहसील का लगा चुके हैं लेकिन पात्र की सूची में नाम नहीं आया। बताया गया कि शादी नहीं हुई है इसलिए आशुतोष पात्र नहीं हैं। नियम है कि लड़का बालिग हो चुका है और नौकरी कर रहा है तो आवास के लिए पात्र होगा।

किराये के मकान में किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं आवेदक

यह सिर्फ आशुतोष की समस्या नहीं है। काजीपुर खुर्द वार्ड के नौ नागरिक आवास के लिए भटक रहे हैं। बिजली मैकेनिक के साथ हेल्पर के रूप में काम करने वाले संजय वर्मा का ने वर्ष 2016 में आवास के लिए आवेदन किया था। जर्जर घर की छत गिरने लगी तो किराये के मकान में पत्नी और ब'चों के साथ जीवनयापन कर रहे हैं। वह सप्ताह में एक दिन तहसील, डूडा और पार्षद का चक्कर काटते हैं।

किसी तरह बचा बच्‍चा

जगन्नाथपुर निवासी मनोज यादव ने अपनी पत्नी चांदनी के नाम से आवास के लिए आवेदन किया था। पत्नी के नाम की जगह जांच सूची में मनोज का नाम आ गया। डेढ़ साल से आवास के लिए मनोज भटक रहे हैं। कहते हैं कि कुछ महीने पहले ब'चे घर के अंदर थे। अचानक छत टूटकर गिरने लगी। किसी तहर ब'चों को बचाकर बाहर ले आया। तब से किराये के मकान में रह रहे हैं।

इनको भी आवास का इंतजार

राधिका, रामू चौरसिया, रवि कुमार शर्मा, संजू, वंदना, अनुराग शर्मा

नौकरी करने वाले बालिग बेटे को भी एक परिवार माना जाता है। नियमानुसार उसे आवास दिया जा सकता है। डूडा की टीम ने जांच कर सभी की रिपोर्ट तहसील प्रशासन को भेजी है। - विकास सिंह, परियोजना अधिकारी, डूडा।

जिन नौ नागरिकों को अपात्र बताया गया है सभी के आवास जर्जर हैं। सभी पात्र हैं लेकिन तहसील प्रशासन की मनमानी के कारण आवास नहीं मिल रहा है। डीएम से शिकायत किया हूं। - अमरनाथ यादव, पार्षद।

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