अपनों से दूर, अंजलि बरसा रहीं ममता का नूर

कुशीनगर के सुकरौली ब्लाक में तैनात एएनएम अंजलि बानो मरीजों को ममता की छाया देकर उनसे कोरोना का काला साया दूर कर रही हैं उनके बचे शामली में रहते हैं कहती हैं कि ड्यूटी के चलते कई दिनों तक बचों से बात भी नहीं हो पाती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 04:00 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 04:00 AM (IST)
अपनों से दूर, अंजलि बरसा रहीं ममता का नूर
अपनों से दूर, अंजलि बरसा रहीं ममता का नूर

कुशीनगर: शामली जिले की रहने वाली अंजलि बानो आपदा की इस घड़ी में घर से दूर मरीजों पर ममता का नूर बरसा रही हैं। दोनों छोटे बच्चों व स्वजन शामली में हैं, उनसे मिले एक माह से अधिक हो गए। इस दूरी के बीच वह ममता की छांव तले लोगों को कोरोना से बचाने की मुहिम में जुटी हुई हैं। सेवा के दौरान संक्रमित भी हुईं, लेकिन अपना संकल्प टूटने नहीं दिया है।

सुकरौली ब्लाक में संविदा एएनएम के रूप में कार्यरत शामली की रहने वाली अंजलि बानो परिवार समेत कुशीनगर में रहती थीं। मार्च में कोरोना की दूसरी लहर आई तो गंभीर खतरा खड़ा हुआ। उनकी कोविड में ड्यूटी लगी तो उन्होंने घर परिवार की चिता छोड़ मरीजों के ऊपर सेवा रूपी ममता की चादर की छांव डालने का संकल्प लिया। विभाग ने उनको वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी दी। सेवा के दौरान परिवार बाधक न बने स्वजन से संपर्क कर अपने दोनों बच्चों को गांव भेज दिया। पांच मार्च से सेवा भाव के साथ कोरोना के खिलाफ जंग में उतरीं। सुबह नौ बजे वैक्सीनेशन केंद्र पहुंच जातीं और शाम पांच या छह बजे तक टीका लगाती हैं। बकौल, अंजलि 27 अप्रैल तक लगातार अभियान में लगी रहीं। इस दौरान चार हजार से अधिक लोगों को सुरक्षा का कोविड टीका लगाया। कहती हैं कि दरअसल, हमारी भूमिका मरीजों के लिए एक मां की तरह ही है और संकट की इस घड़ी में ममता की छांव और घनी रहेगी तभी सुरक्षा का मजबूत कवच तैयार होगा। यही सोचकर आने वाले लोगों को टीका लगाने के साथ जागरूक व मन से मजबूत करने का कार्य करती रही। टीका के दोनों डोज लेने के बाद सेवा करते हुए एक मई को मैं कोरोना संक्रमित हो गई। होम आसोलेशन में हूं, शीघ्र ठीक होकर पुन: कोरोना के खिलाफ जंग में उतरूंगी।

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