एयर क्वालिटी इंडेक्स दे रहा चेतावनी, नहीं बदली आबोहवा तो सभी हो जाएंगे सांस के रोगी

शहर की आबोहवा में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि इस पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हर व्यक्ति सांस का रोगी होगा। नवंबर के एयर क्लालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) के आंकड़ें इसकी कड़ी चेतावनी दे रहे हैं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 08:50 AM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 08:50 AM (IST)
एयर क्वालिटी इंडेक्स दे रहा चेतावनी, नहीं बदली आबोहवा तो सभी हो जाएंगे सांस के रोगी
एयर क्वालिटी इंडेक्स दे रहा चेतावनी, नहीं बदली आबोहवा तो सभी हो जाएंगे सांस के रोगी। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शहर की आबोहवा में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि इस पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हर व्यक्ति सांस का रोगी होगा। नवंबर के एयर क्लालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) के आंकड़ें इसकी कड़ी चेतावनी दे रहे हैं। नवंबर के शुरुआती 20 दिन में नौ दिन ऐसे रहे जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रिकार्ड किया गया। इनमें दो दिन तो हद ही हो गई। छह नवंबर का एक्यूआइ 386 और नौ नंबर को एक्यूआइ 393 तक पहुंच गया।

250 से नीचे नहीं आ रहा एक्‍यूआइ का स्‍तर

इसके अलावा कोई दिन ऐसा नहीं रहा, जब एक्यूआइ 250 से नीचे आया हो। इससे साफ है कि दीपावली के दौरान प्रदूषण के हालात जो बिगड़े वह अबतक संभल नहीं सके हैं। पर्यावरणविदों के मुताबिक यह स्थिति प्रदूषण के लिहाज से काफी भयावह है। मानक के मुताबिक यदि यह सिलसिला लंबा चला तो शहर के सभी लोगों को सांस की बीमारी से जूझना पड़ सकता है।

वाहनों के संचलन से बिगड रहे हालात

वजह की पड़ताल में इसे लेकर जो कारण सामने आए, उनमें सर्वाधिक मुख्य कारण तेजी से बढ़ा वाहनों का संचालन है। शहर में करीब 10 लाख वाहन पंजीकृत हैं और बाहर से आने वाले वाहनों की संख्या भी लगभग इतनी ही है। इसके अलावा सड़कों और भवनों का निर्माण तेजी से जारी है। पर्यावरणविदों के मुताबिक दीपावली के बाद निर्माण कार्य और वाहनों का संचालन तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते शहर की हवा प्रदूषित हो गई है।

प्रदूषण की वजह से आ रही तापमान में गिरावट

तापमान में गिरावट भी प्रदूषण की बड़ी वजह है। इसकी वजह से हवा का घनत्व बढ़ा है, जिसके चलते वातावरण में मौजूद धूल के कण वायुमंडल की ऊपरी सतह पर नहीं जा पा रहे। हालांकि पिछले दो दिनों से इन कणों के निस्तारण के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव कराया जा रहा है लेकिन स्थिति के नियंत्रण में यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। शनिवार को गोरखपुर का एक्यूआइ 273 रिकार्ड किया गया। 18 व 20 नवंबर को यह 300 के पार था।

स्वास्थ्य के लिहाज से एक्यूआइ का मानक

0-50- अच्छा

51-100- संतोषजनक

101-200- सांस लेने में थोड़ी कठिनाई, बच्चे व बुजुर्ग के लिए सावधानी अपनाने की जरूरत

201-300- सांस लेने में तकलीफ देह स्थिति

301-400- अत्यंत खराब स्थिति

401 से ऊपर- हर किसी के लिए भयावह स्थिति

पर्यावरण प्रदूषण पर देना होगा ध्‍यान

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पंकज यादव बताते हैं कि विकास सतत प्रक्रिया है, वह जारी रहेगी लेकिन इसके साथ ही साथ लोगों को पर्यावरण प्रदूषण पर ध्यान देना होगा। अधिक से अधिक पौधारोपण करना होगा। वाहनों का प्रयोग नितांत जरूरत पर ही करना होगा। चिमनियों के ऊपर फिल्टर का प्रयोग करना होगा। पराली जलाने पर तो पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना होगा।

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