चोरी की एफआइआर के बाद अफसर नहीं काट पाए थे कनेक्‍शन, उपभोक्‍ता जलाता रहा बिजली

गोरखपुर में पांच किलोवाट से ज्यादा क्षमता के 117 कनेक्शनों पर विजिलेंस ने बिजली चोरी पकड़ी गई थी। नियमानुसार कनेक्शन काट दिया जाना चाहिए लेकिन बिजली जलती रही। इसका पर्दाफाश तब हुआ जब चोरी की जांच करने एंटी थेफ्ट बिजली थाना की पुलिस पहुंची। सभी कनेक्शनों पर बिजली जलती मिली।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 10:30 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 10:30 AM (IST)
चोरी की एफआइआर के बाद अफसर नहीं काट पाए थे कनेक्‍शन, उपभोक्‍ता जलाता रहा बिजली
एफआइआर के बाद नहीं कटा कनेक्‍शन, उपभोक्‍ता जला रहे थे चोरी से बिजली। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : बिजली चोरी के मामले में बिजली निगम के अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यह हकीकत सामने आई है एंटी थेफ्ट बिजली थाना की जांच में। जिले में पांच किलोवाट से ज्यादा क्षमता के 117 कनेक्शनों पर विजिलेंस ने बिजली चोरी पकड़ी थी। नियमानुसार इनका कनेक्शन काट दिया जाना चाहिए था, लेकिन बिजली जलती रही। इसका पर्दाफाश तब हुआ, जब चोरी की जांच करने एंटी थेफ्ट बिजली थाना की पुलिस पहुंची। सभी 117 कनेक्शनों पर बिजली जलती मिली। अब कार्रवाई के लिए अधिशासी अभियंताओं को पत्र लिखा गया है।

बिजली चोरी रोकने की जिम्‍मेदारी निगम के अफसरों की

बिजली चोरी रोकने की जिम्मेदारी निगम के अफसरों पर है। उपकेंद्र क्षेत्र के अवर अभियंता को बिजली चोरी रोकने की जिम्मेदारी दी जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में विजिलेंस की टीम की जांच में ही बिजली चोरी मिलती है। विजिलेंस की टीम बिजली चोरी वाले परिसर का वीडियो बनाकर एंटी थेफ्ट थाने में तहरीर देती है। इसके आधार पर एफआइआर दर्ज की जाती है। बिजली चोरी मिलने पर कनेक्शन काटने के साथ ही मानीटरिंग के भी निर्देश हैं, लेकिन ज्यादातर उपभोक्ता एफआइआर के बाद भी बिजली जलाते रहते हैं।

दो दिन में न आएं उपभोक्ता तो गड़बड़

बिजली निगम के अफसर भी मानते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में कोई बिना बिजली नहीं रह सकता है। यदि चोरी या बकायेदारी में कनेक्शन कटने के दो दिन बाद भी उपभोक्ता उपकेंद्र या अफसरों के पास न पहुंचे तो मान लेना चाहिए कि कहीं न कहीं गड़बड़ जरूर है या तो उपभोक्ता ने कटिया लगाकर बिजली का उपभोग शुरू किया है या उसने घर ही छोड़ दिया है।

यह रुपये जमा करने होते हैं

बिजली चोरी मिलने पर विजिलेंस या बिजली निगम के अफसर रिपोर्ट देते हैं। इसमें बताया जाता है कि चोरी की बिजली से कितने क्षमता के उपकरणों का चलाया जा रहा था। इस रिपोर्ट के आधार पर अधिशासी अभियंता शमन शुल्क और राजस्व का निर्धारण करते हैं।

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