जांच के बाद नायक जाति को जारी हो सकेगा एसटी का प्रमाण पत्र

पुराने राजस्व अभिलखों का परीक्षण करने के बाद नायक जाति का अनुसूचित जनजाति (एसटी) का प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा। यदि किसी स्तर से गलत प्रमाण पत्र निर्गत होता है तो उसे त्रिस्तरीय स्क्रूटनी समिति के समक्ष प्रस्तुत कर समय से उसे निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 07:50 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 07:50 AM (IST)
जांच के बाद नायक जाति को जारी हो सकेगा एसटी का प्रमाण पत्र
जांच के बाद ही नायक जाति को जारी हो सकेगा एसटी का प्रमाण पत्र। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पुराने राजस्व अभिलखों का परीक्षण करने के बाद नायक जाति का अनुसूचित जनजाति (एसटी) का प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा। यदि किसी स्तर से गलत प्रमाण पत्र निर्गत होता है तो उसे त्रिस्तरीय स्क्रूटनी समिति (जनपद, मंडल एवं राज्य स्तर) के समक्ष प्रस्तुत कर समय से उसे निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी। प्रमुख सचिव समाज कल्याण के रवींद्र नायक की ओर से गोरखपुर सहित 13 जिलों के जिलाधिकारियों को इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। इस शासनादेश के साथ ही जनवरी 2003 में भारत सरकार के गजट से उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में एसटी में अधिसूचित नायक समुदाय को जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में आ रही बाधा दूर हो सकेगी।

प्रमुख सचिव समाज कल्याण की ओर से गोरखपुर सहित 13 जिलों को जारी किया गया पत्र

शासनादेश के अनुसार आवेदक के भूमिहीन होने की स्थिति में कुटुंब रजिस्टर की नकल, स्कूल की टीसी एवं आसपास के परिवारों से मौके पर पूछताछ के बाद एसटी का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। आठ जनवरी 2003 को भारत सरकार के गजट में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर व सोनभद्र जनपद में नायक को अनुसूचित जनजाति में अधिसूचित किया गया। तब से इन जिलों में रहने वाले नायक समुदाय के लोगों को एसटी प्रमाण पत्र निर्गत होने लगे। पिछले कुछ सालों में फर्जी प्रमाण पत्र बनवा लेने की शिकायतें शासन तक पहुंचने लगीं। इसके बाद 15 जुलाई 2020 को अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण ने नायक समुदाय के लिए एसटी प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में नई व्यवस्था का आदेश जारी कर दिया।

प्रमाण पत्र जारी करने से पहले राजस्व अभिलेखों की जांच करना होगा जरूरी

इस शासनादेश में कहा गया कि गोरखपुर समेत 13 जिलों में 'गोंड की पर्याय/उपजाति नायक' ही अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पात्र है। इसके बाद नायक जाति का एसटी का प्रमाण पत्र बनना कठिन हो गया। इस आदेश के खिलाफ नायक जनसेवा संस्थान गोरखपुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। याचिका पर 13 अगस्त को आए हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने 24 सितंबर को नया आदेश जारी किया। जनजाति का प्रमाण हासिल करने की लड़ाई लडऩे वाले नायक जनसेवा संस्थान गोरखपुर के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद नायक ने शासन के इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि हम भी चाहते हैं कि हमारे एसटी के प्रमाण पत्र के लिए पुराने से पुराने राजस्व अभिलेखों से मिलान किया जाए ताकि सही लोगों को ही प्रमाण पत्र मिल सके।

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