नर्सिंग होम में इलाज कराकर रुपये खत्म हो गए, मेडिकल कालेज में एडमिट करा दें प्लीज..

गोरखपुर में इंटीग्रेटेड कोविड कंट्रोल सेंटर के फोन नंबरों पर स्वजन नर्सिंग होम में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं। कई स्वजन का आरोप है कि डाक्टरों की जगह अस्पताल के प्रबंधक और कुछ कर्मचारी मरीजों का इलाज करते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 08:02 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 08:02 AM (IST)
नर्सिंग होम में इलाज कराकर रुपये खत्म हो गए, मेडिकल कालेज में एडमिट करा दें प्लीज..
बीआरडी मेडिकल कालेज में बेड खाली होने के बाद नर्सिंग होम से मरीज बीआरडी में शिफ्ट हो रहे हैं।

गोरखपुर, जेएनएन। गायत्री हास्पिटल में भर्ती 55 वर्षीय रामबेलास के स्वजन ने इंटीग्रेटेड कोविड कंट्रोल सेंटर में फोन किया। काल रिसीव करने वाले कर्मचारी से स्वजन ने बताया कि उनके पास अब इलाज के लिए रुपये नहीं हैं इसलिए रामबेलास को बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया जाए। कर्मचारी अभी पूरी जानकारी नोट ही कर रहे थे कि प्राइड हास्पिटल में भर्ती 40 वर्षीय सदानंद के स्वजन ने ज्यादा खर्च होने का हवाला देते हुए मरीज को मेडिकल कालेज में भर्ती कराने का अनुरोध किया। कोरोना संक्रमितों की संख्या कम होने और मेडिकल कालेज में बेड की उपलब्धता के बाद अब स्वजन मरीज को नर्सिंग होम से निकालना चाहते हैं।

कई नर्सिंग होम में डाक्टर नहीं देख रहे मरीज

कंट्रोल सेंटर के फोन नंबरों पर स्वजन नर्सिंग होम में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगा रहे हैं। कई स्वजन का आरोप है कि डाक्टरों की जगह अस्पताल के प्रबंधक और कुछ कर्मचारी मरीजों का इलाज करते हैं। मरीज ठीक हो जाए तो उसकी किस्मत वरना हालत खराब हो जाने पर लेवल तीन अस्पताल ले जाने का हवाला देते हुए रेफर कर दिया जा रहा है। कोरोना की गंभीरता का इतना ज्यादा डर नर्सिंग होम में दिखाया जा रहा है कि स्वजन को समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें।

नर्सिंग होम में इलाज का खर्च लाखों में

दो दिन पहले खोवा मंडी गली स्थित एक अस्पताल में कोरोना संक्रमित से चार दिन के इलाज के नाम पर अस्पताल संचालक ने तीन लाख रुपये से ज्यादा वसूल लिए। शिकायत पर अस्पताल संचालक ने वीआइपी व्यवस्था का हवाला दिया। बेतियाहाता वार्ड के पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी सोनू ने शिकायत की तो अफसरों ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है। नर्सिंग होम में अपने पिता का इलाज कराने वाले नीरज ने बताया कि 20 दिन में आठ लाख रुपये खर्च हो गए और पिता को बचाया भी नहीं जा सका।

मंगलवार को आए 462 फोन

उप जिला स्वास्थ्य एवं सूचना अधिकार सुनीता पटेल ने बताया कि मंगलवार को कंट्रोल सेंटर पर 462 लोगों ने फोन किया। इनमें से कई ने नर्सिंग होम से मरीज मेडिकल कालेज ले जाने का अनुरोध किया। प्राइड हास्पिटल में भर्ती मरीज के संबंध में अस्पताल संचालक से बात की गई तो पता चला कि मरीज बाइपेप पर हैं। अस्पताल संचालक को शासन की ओर से निर्धारित दर पर इलाज के निर्देश दिए गए। बताया कि कई बक्शीपुर स्थित एक नर्सिंग होम में भर्ती मरीज अशोक सिंह के स्वजन ने मेडिकल कालेज में अच्छे इलाज की बात कह भर्ती कराने का अनुरोध किया।

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