Corona Fighters : दवा के साथ अपनाया घरेलू नुस्‍खा, हरा दिया कोरोना को

Corona Fighters हम ठीक होंगे हमें कुछ नहीं होगा बस इस मजबूत इच्छा शक्ति व घरेलू उपचार एवं योग के सहारे संक्रमित व्यक्ति घर पर रहते हुए स्वस्थ हो सकता है। होम आइसोलेशन में रह कर स्वस्थ हो चुके अभिषेक त्रिपाठी ने जागरण से विचार साझा किए।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 02:10 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 02:10 PM (IST)
Corona Fighters : दवा के साथ अपनाया घरेलू नुस्‍खा, हरा दिया कोरोना को
दवा के साथ घरेलू नुस्‍खा अपनाकर ठीक होने वाले अभिषेक त्रिपाठी। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन : हम ठीक होंगे, हमें कुछ नहीं होगा, बस इस मजबूत इच्छा शक्ति व घरेलू उपचार एवं योग के सहारे संक्रमित व्यक्ति घर पर रहते हुए स्वस्थ हो सकता है। घबराने की जरूरत नहीं है। होम आइसोलेशन में रह कर स्वस्थ हो चुके सिद्धार्थनगर जिले के खेसरहा के महुआ गांव निवासी अभिषेक त्रिपाठी ने जागरण से अपने विचार साझा करते हुए संक्रमण से डर रहे लोगों का हौसला बढ़ाया।

एक होटल में कर्मचारी हैं अभिषेक

अभिषेक लखनऊ में एक होटल के कर्मचारी हैं। होटल में भीड़ अधिक हो रही थी। उसी समय यह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ गए। पहले सर्दी, जुखाम शुरू हुआ। 20 तारीख को सहारा हास्पिटल में जांच कराने गए तो रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई। उसके बाद यह अपने गांव महुआ चले आए और होम आइसोलेशन में रहते हुए अपना इलाज करने लगे। दस दिन के बाद 30 तारीख को सीएचसी खेसरहा जाकर पुन: टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आई। इन्होंने बताया कि संक्रमित होने के बाद घबराने की जरूरत नहीं है।

गुनगुने पानी में नीबू डालकर कई बार पीता था

होम आइसोलेशन में रहते हुए मैं दिन में तीन-चार बार एक गिलास गुनगुने पानी में फिटकरी के टुकड़े को आठ बार घुमा कर उससे गरारा करता था। गुनगुने पानी में नीबू डालकर भी कई बार पीता था। दिन में पांच से छह बार भाप लेता था। चिकित्सकों ने जो दवा दी थी, उसे भी समय से खाता तथा रोज सुबह आधा घंटे योग करता। घर पर बना काढ़ा भी दिन में तीन चार-बार पीता था। जिससे पांच दिन बाद ही हालत में सुधार होने लगा। अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। हमें एक दिन थोड़ा सांस की दिक्कत भी हुई तो हमने दो चम्मच बड़ा आजवाइन, पांच टिकिया कपूर व छह लौंग की पोटली बना लिया, जिसे हर 10 मिनट में सूंघता रहता। आश्चर्यजनक रहा, रात तक हमारी सांस अपने गति से प्रवाहित होने लगी।

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