Actor Sanjay Mishra: वेब फिल्मों में अश्लीलता नहीं, रोजमर्रा की भाषा है

सिने अभिनेता संजय मिश्र ने कहा कि सरकार को चाहिए कि फिल्म सिटी के निर्माण के साथ-साथ सिनेमाघरों को पुन व्यवस्थित करे ताकि उसमें फिल्में चलाई जा सकें। यदि सिनेमा हाल न हों तो सिनेमा बनाने का क्या फायदा ?

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 02:07 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 02:07 PM (IST)
Actor Sanjay Mishra: वेब फिल्मों में अश्लीलता नहीं, रोजमर्रा की भाषा है
मीडिया से रूबरू Actor Sanjay Mishra। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी का निर्माण सकारात्मक पहल है। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा। विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। कलाकारों को मौका मिलेगा। सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि फिल्में पर्दे तक पहुंच सकें, नहीं तो उनकी सार्थकता नहीं रह जाएगी।

यह बातें सिने अभिनेता व हास्य कलाकार संजय मिश्र ने कही। वह गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के तत्वावधान में विजय चौक स्थित एक होटल में आयोजित 'परिचर्चा एवं साक्षात्कार' कार्यक्रम में पत्रकारों से मुखातिब थे। वेब फिल्मों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिसे हम अश्लीलता कह रहे हैं, उसे रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली भाषा कह सकते हैं। इस पर किसी सेंसर की आवश्यकता नहीं है। सिनेमा समाज का आईना होता है। वह वही दिखाता है जो समाज में हो रहा है।

सिनेमाघरों को पुन: व्यवस्थित करे सरकार

उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सिनेमा हाल जिस प्रकार बंद हो रहे हैं, उसी प्रकार सिनेप्लेक्स भी आने वाले समय में बंद हो जाएंगे। लोग मोबाइल पर फिल्में देखते नजर आएंगे। हमें इसे लेकर अभी से सतर्क हो जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि फिल्म सिटी के निर्माण के साथ-साथ सिनेमाघरों को पुन: व्यवस्थित करे, ताकि उसमें फिल्में चलाई जा सकें। यदि सिनेमा हाल न हों तो सिनेमा बनाने का क्या फायदा? 

गोरखपुर के लोग फिल्म बनाएं तो  कम पैसे में काम करने को तैयार

संजय मिश्र ने कहा कि यदि गोरखपुर के लोग फिल्म बनाते हैं और मुझे आमंत्रित करते हैं तो कम धनराशि में भी काम करूंगा। इससे यहां फिल्म निर्माण को बढ़ावा मिलेगा तो कलाकारों को मंच उपलब्ध होगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि भोजपुरी फिल्में देखने लोग सिनेमा हाल तक नहीं जाते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों का वहां के लोग बहुत सम्मान करते हैं। यह प्रवृत्ति भोजपुरीभाषियों में भी आनी चाहिए।

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