अनोखी शादी : बैलगाड़ी में बरात, पालकी में दूल्हा
देवरिया के छोटेलाल पाल ने बिसराई जा रही लोक परंपरा को अपनी शादी में जीवंत कर दिया। उनके बराती बैलगाड़ी से बरात गए और वह पालकी में। सजाई गई 11 बैलगाड़ियों में 50 बराती 35 किलो मीटर का सफर तय कर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचे।
गोरखपुर, जेएनएन : कभी गांव में बैलगाड़ी पर देखी बरात, फिर 10 साल पहले आए ख्याल को पूरा करने के लिए देवरिया के छोटेलाल पाल ने बिसराई जा रही लोक परंपरा को अपनी शादी में जीवंत कर दिया। वह खुद पालकी में गए और बरात बैलगाड़ी में। घरौंदे जैसी सजाई गई 11 बैलगाड़ियों में 50 बराती 35 किलोमीटर का सफर तय कर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचे। दुल्हन के घरवालों ने भी नायाब तरीके से आई इस बरात का जोरदार ढंग से स्वागत किया। यह बरात पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी रही।
मदनपुर के बडीहांडन गांव में गई छोटेलाल की बरात
सदर तहसील के कुशहरी गांव निवासी छोटेलाल पाल की शादी मदनपुर के बडीहांडन गांव के रामानंद पाल की पुत्री सरिता पाल से हो रही है। रविवार की दोपहर एक बजे बारिश के बीच बरात रवाना हुई। छोटेलाल पालकी में थे और बराती बैलगाड़ियों पर।
बरात निकली तो सबकी निगाहें ठहर जा रहीं थीं
बरात निकली तो बरबस सबकी निगाहें उस पर ठहर जा रही थीं। 35 किमी की दूरी तय कर बरात रात करीब नौ बजे दुल्हन के दरवाजे पहुंची। बारिश, ऊबड़खाबड़ रास्ता और राह में बंद मिली अहिल्यापुर रेलवे क्रासिंग भी बरातियों का उत्साह नहीं थाम पाई।
10 साल पहले शादी को यादगार बनाने का आया था ख्याल
छोटेलाल पाल ने बताया कि उनके पिता जवाहर पाल की 2006 व माता की मृत्यु 1997 में हो चुकी है। परिवार में बड़े भाई रामविचार पाल, भाभी ललिता देवी व भतीजे हैं। 2002 में मुंबई गया और अब वहां फिल्म सिटी में आर्ट विभाग में नौकरी कर रहा हूं। करीब 10 साल पहले मन में शादी को यादगार बनाने का ख्याल आया था। शादी तय हुई तो परिवार और दुल्हन पक्ष से इस पर चर्चा की। बरात के लिए जब बैलगाडिय़ां सज रही थीं, तब पूरा गांव उत्साहित नजर आ रहा था।