परिवार का मिला साथ, 85 साल की मालती देवी ने पांच दिनों में घर पर ही दी कोरोना को मात Gorakhpur News

गोरखपुर में 85 वर्षीय मालती देवी को उनके परिवार के साथ ने पांच दिनों में ही कोरोना पर विजय पाने में मदद की। 85 वर्ष की होने के बाद भी वे कोरोना का इलाज कराने अस्‍पताल नहीं गईं और घर पर रहकर ही स्‍वस्‍थ हुईं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 10:05 AM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 09:38 AM (IST)
परिवार का मिला साथ, 85 साल की मालती देवी ने पांच दिनों में घर पर ही दी कोरोना को मात Gorakhpur News
85 वर्षीय मालती देवी जिन्‍होंने घर पर रहकर कोरोना को मात दी। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी में संक्रमित व्यक्ति से परिवार के सदस्यों के ही दूरी बना लेने के कई उदाहरण मिल जाते हैं लेकिन 85 वर्षीय मालती देवी को उनके परिवार के साथ ने पांच दिनों में ही कोरोना पर विजय पाने में मदद की। हर्ट की बीमारी से ग्रसित मालती देवी तीन मई को कोरोना संक्रमित भी हो गईं। उनकी उम्र एवं पुरानी बीमारी को देखते हुए कई पारिवारिक मित्रों ने उन्हें घर के एक कमरे में पूरी तरह से आइसोलेट करने की सलाह दी लेकिन मालती देवी के बेटे, बेटी, बहू और पोते-पोतियों को यह सलाह जंची नहीं। सभी ने मिलकर उनकी सेवा की, अकेलापन महसूस नहीं होने दिया। इसी का नतीजा रहा कि वह अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

अलग कमरे में बंद करने की बजाय परिवार ने शुरू से ही कराया अपनेपन का बोध

हुमायूंपुर उत्तरी, जंगी हाता के सामने रहने वाले मनोज गुप्ता रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर हैं। उनकी माता मालती देवी तीन मई को कोरोना पाजिटिव हो गई थीं। उनकी पुरानी बीमारी को देखते हुए शुरू में परिवार के लोगों को चिंता हुई लेकिन सभी ने हिम्मत रखी और उनकी सेवा में जुट गए। मालती देवी को उनके कमरे में ही रखा गया लेकिन कमरा कभी बंद नहीं किया गया।

जब भी उनका मन हुआ, कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए वह बाहर भी निकलीं। उनके खाने के बर्तन भी अलग से नहीं मंगाए गए थे, घर के बर्तन का ही वह भी इस्तेमाल करती थीं। नेपाल के कांठमांडू से आईं मनोज की बहन मंजू रौनियार व मनोज की पत्नी अंजू गुप्ता ने समय से दवा देने की जिम्मेदारी संभाली। 

समय से दवा व घरेलू नुस्खों से पूरी तरह स्वस्थ हो गईं मालती देवी

मालती देवी के बाहर निकलने पर उनका कमरा पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाता था। काली मिर्च पीसकर अदरक व शहद के साथ दिया जाता था। समय से भाप लेने की भी व्यवस्था की गई थी। हल्दी वाला दूध भी उन्हें दिया जाता था। मालती देवी के कमरे में अलग से टीवी है लेकिन उनके दरवाजे के बाहर टीवी लगाकर पूरा परिवार एक साथ मनोरंजन करता था।

मालती देवी के पौत्रियां अनन्या गुप्ता, निहारिका गुप्ता एवं पौत्र मोहित ने भी उनकी जरूरतों का ध्यान रखा। जबतक वह पाजिटिव रहीं, सभी सदस्य मास्क का प्रयोग जरूर करते थे। आठ मई को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई और वह पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रही हैं। मनोज ने कहा कि कोविड से संक्रमित होने के बाद मरीज को यदि अलग-थलग कर दिया जाएगा तो वह टूटने लगेगा। उन्हें अपनेपन का एहसास होना चाहिए। हमारे परिवार ने इसे आजमाया है और नतीजा अत्यंत ही सुखद रहा।

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