बीआरडी मेडिकल कॉलेज को 70 लोगों ने किया है देह-दान, अब संरक्षित होंगी इनकी स्मृतियां Gorakhpur News

जो लोग भी देह दान करेंगे उनकी या उनके परिवार की अनुमति से उनके चेहरे के आधे हिस्से या किसी एक अंग को म्यूजियम में संरक्षित रखा जाएगा उनके नाम-पते के साथ।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Tue, 17 Sep 2019 06:55 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 10:00 PM (IST)
बीआरडी मेडिकल कॉलेज को 70 लोगों ने किया है देह-दान, अब संरक्षित होंगी इनकी स्मृतियां Gorakhpur News
बीआरडी मेडिकल कॉलेज को 70 लोगों ने किया है देह-दान, अब संरक्षित होंगी इनकी स्मृतियां Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कैडवर (डेड बॉडी) के संकट से जूझ रहे बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग ने देह दानियों की स्मृतियों को संरक्षित करने का निर्णय लिया है, ताकि लोग प्रेरित होकर देह दान के लिए आगे आएं। जो लोग भी देह दान करेंगे, उनकी या उनके परिवार की अनुमति से उनके चेहरे के आधे हिस्से या किसी एक अंग को म्यूजियम में संरक्षित रखा जाएगा, उनके नाम-पते के साथ। ताकि आने वाले बच्चे यह जान सकें कि अमुक व्यक्ति ने उनकी पढ़ाई के लिए अपनी देह का दान किया था। आधा चेहरा देखकर भी यह पता चल जाएगा कि वे कौन थें। मुख्य रूप से देह दानियों, पुलिस या किसी स्वयंसेवी संस्था से कैडबर की प्राप्ति होती है। 

10-12 घंटे के अंदर मिल जाना चाहिए कैडबर

मृत्यु के 10-12 घंटे के अंदर कैडबर मिल जाए तो आसानी से दवा चढ़ाई जा सकती है। आमतौर पर पुलिस से प्राप्त होने वाला कैडबर 72 घंटे बाद मिलता है। ऐसे में बहुत सारे अंग खराब हो चुके होते हैं।

देह दान से पूर्व परिवार की सहमति जरूर लें

जो व्यक्ति भी देह दान के इच्छुक हैं, वे अपने परिवार की सहमति जरूर लें, ताकि मृत्यु के तुरंत बाद उनके परिवार के लोग कॉलेज को सूचना दे दें।

70 लोगों ने किया देह दान

मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग में 70 लोगों ने स्वेच्छा से देह दान का फार्म भर दिया है। इच्छुक लोग विभाग से निश्शुल्क फार्म ले सकते हैं।

बिना फार्म भरे भी किया जा सकता है देह दान

यदि किसी ने देह दान का फार्म नहीं भरा है और उनके परिवार के लोग उनकी मृत देह का पढऩे के लिए दान करना चाहते हैं तो मेडिकल कॉलेज को सूचना दें, कॉलेज से गाड़ी जाकर कैडवर ले आएगी। यदि वे स्वयं लेकर आ जाएं तो उन्हें आने-जाने का खर्च दिया जाएगा।

म्यूजियम में रखी जाएंगी स्‍मृति‍यां

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एनाटमी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र सिंह का कहना है कि देहदान करने वालों की स्मृतियों को संरक्षित करने का निर्णय विभाग ने ले लिया है। उनकी स्मृतियां एनाटमी विभाग के म्यूजियम में रखी जाएंगी।

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